दोनों डोज के बाद ओमिक्रॉन संक्रमण हुआ है तो बूस्टर शॉट की जरूरत नहीं , स्टडी में खुलासा

वाशिंगटन। पूरी दुनिया में हाराकार मचा चुके कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर हुई रिसर्च में एक अच्छी खबर सामने आई है। दरअसल दो स्टडी में पाया गया है कि जिन रोगियों को वैक्सीन की दोनों खुराक लग चुकी हैं उनमें बूस्टर शॉट की तुलना में ओमिक्रॉन संक्रमण से अच्छी इम्युनिटी उत्पन्न हुई है। सीधे शब्दों में कहें तो जिन लोगों को कोरोना की दोनों डोज लग चुकी हैं और बाद में उन्हें ओमिक्रॉन संक्रमण हुआ है तो उन्हें शायद किसी अन्य वेरिएंट से लड़ने के लिए बूस्टर शॉट की जरूरत न पड़े। यानी ओमिक्रॉन संक्रमण से ही संभवतः उनकी इम्युनिटी मजबूत हुई है। कोविड-19 वैक्सीन निर्माता बायोएनटेक एसई और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी की टीमों ने हाल के हफ्तों में प्रीप्रिंट सर्वर बायोरेक्सिव पर स्टडी के नतीजे जारी किए हैं।
यह डेटा ऐसे समय में सामने आया है जब ओमिक्रॉन दुनिया भर में फैल रहा है, विशेष रूप से चीन में, जहां शंघाई के निवासियों को लगभग छह सप्ताह से लॉकडाउन के अंदर रखा गया है। बायोएनटेक की टीम ने तर्क दिया कि स्टडी का डेटा इस ओर इशारा करता है कि लोगों को एक ओमिक्रॉन-एडॉप्टेड बूस्टर शॉट दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन के लिए बना बूस्टर शॉट ओरिजिनल वैक्सीन के साथ बने कई टीकों की तुलना में अधिक फायदेमंद हो सकता है।
वीर बायोटेक्नोलॉजी इंक के साथ मिलकर की गई स्टडी में वाशिंगटन रिसर्च ने उन लोगों के खून के नमूनों को देखा, जिन्हें कोरोना हुआ था और उसके बाद में उन्होंने वैक्सीन की दो या तीन खुराक ली थीं। इसके साथ ही उन्होंने उन लोगों के खून के नमूने भी कलेक्ट किए जिन्हें वैक्सीन लेने के बाद भी डेल्टा या ओमिक्रॉन वेरिएंट ने अपनी चपेट में ले लिया था।
वाशिंगटन और बायोएनटेक दोनों स्टडी ने इम्युनिटी सिस्टम के एक और पहलू पर गौर किया: बी सेल्स पर। यह एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं जो एक रोगजनक को पहचानने पर ताजा एंटीबॉडी विस्फोट कर सकती हैं। यानी प्रतिरक्षा प्रणाली के हिस्से के रूप में, बी कोशिकाएं एंटीबॉडी बनाती हैं और संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं।
बायोएनटेक टीम ने पाया कि जिन लोगों को ओमिक्रॉन ब्रेकथ्रू संक्रमण हुआ था, उन्हें इन उपयोगी कोशिकाओं से उन लोगों की तुलना में व्यापक प्रतिक्रिया मिली, जिन्होंने बूस्टर शॉट लिया था, लेकिन कोई संक्रमण नहीं था।
हालांकि, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि भविष्य के म्यूटेशन ओमिक्रॉन की तरह हल्के होंगे, और महामारी को लेकर भविष्यवाणी करना कठिन है क्योंकि यह न केवल आबादी में प्रतिरक्षा पर निर्भर करता है, बल्कि यह भी कि वायरस खुद को कितना म्यूटेट करता है।

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