काबुल। अफगानिस्तान की गलियों में जगह-जगह पोस्टर्स लगे हैं, कि औरतों के लिए बिना बुर्का पहने घर से बाहर निकलना मना है। पोस्टर में शर्त लिखा गया है, कि बुर्के में आंख में ढंकी होनी चाहिए, अन्यथा आपको इस्लामिक कानून के हिसाब से सजा मिलेगी। कुछ और पोस्टर्स लगे हैं, जिनमें लिखा है, कि महिलाओं का गाड़ी चलाना गुनाह है, तो कुछ पोस्टर्स में लिखा है, बच्चियां घर में रहें, उन्हें अब पढ़ाई-लिखाई की जरूरत नहीं है। तो फिर अफगानिस्तान की महिलाएं क्या करेंगी? एक बहुत ही साधारण सा सवाल सामान्य मन में उभरता है, लेकिन इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के लिए ये सवाल कोई मायने नहीं रखते।
महिलाओं के लिए नये फरमान पिछले साल 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने दुनिया को बताया था, कि अफगानिस्तान का नाम बदल दिया गया है और नया नाम है, ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान’, और उसी वक्त आभास हो गया था, कि इस देश में महिलाओं के साथ क्या सलूक किए जाने वाले हैं। अब तालिबान के मजहबी मंत्रालय ने अपने नियंत्रण वाले अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में पोस्टर्स चिपकाएं हैं, जिनमें महिला ओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य बताया गया है। पोस्टर्स में साफ संदेश लिखा है, कि बुर्के में सिर से लेकर पैर तक ढंका होना चाहिए, क्योंकि इस्लामिक कानून यही कहता है। मौजूदा वक्त में अफगानिस्तान के सर्वोच्च नेता और तालिबान प्रमुख हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा ने शनिवार को काबुल में एक समारोह के दौरान ये फरमान जारी किया है और फरमान नहीं मानने पर उस औरत के साथ उसके घरवाले भी इस्लामिक कानून के मुताबिक गुनहगार माने जाएंगे और सजा के भागीदार होंगे।
तो फिर महिलाएं क्या करेंगी?
पिछले साल काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने दुनिया से वादा किया था, कि महिलाओं के मौलिक अधिकारों का सम्मान किया जाएगा, लेकिन इस्लामिक संगठन ने सबसे पहले अपने वादे को तोड़ा और अफगानिस्तान में महिलाओं से तमाम अधिकार छीन लिए गये हैं। यानि, अफगानिस्तान में फिर से 1990 का दौर शुरू हो चुका है, जब तालिबान पहली बार सत्ता पर काबिज हुआ था और महिलाओं के तमाम अधिकार छीन लिए गये थे, जिसमें उनका घर से बाहर निकलना भी शामिल था और आठ साल की उम्र के बाद काम करने या शिक्षा प्राप्त करने पर रोक शामिल थी। डॉक्टर से नहीं दिखा सकती महिलाएं तालिबान ने पिछली बार भी कठोर शरिया कानून लागू किया था और इस बार भी अफगानिस्तान में कठोर शरिया कानून लागू कर दिया गया है और तालिबान के पिछले शासन में महिलाओं को पुरुष डॉक्टर से इलाज कराने की इजाजत नहीं थी। और चूंकी अफगानिस्तान में महिला डॉक्टर्स की संख्या काफी ज्यादा कम थी, लिहाजा महिलाओं का इलाज बंद हो गया था, भले ही वो किसी दर्द से तड़पती ही क्यों ना रहें।
मेल डॉक्टरों को तालिबान का आदेश था, कि वो महिलाओं का इलाज नहीं कर सकते हैं, लिहाजा, जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने महिलाओं का इलाज बंद कर दिया था। इस नियम का उल्लंघन करने वालों के लिए सार्वजनिक सजा का प्रावधान किया गया था। अगर किसी महिला ने नेल पॉलिश लगा लिया है, तो फिर उसके अंगूठे के पोर को काट दिया जाता था। यानि, महिलाएं किसी भी तरह का फैशन नहीं कर सकती थीं, अन्यथा या तो उन्हें कैद कर लिया जाता था, या फिर उन्हें सार्वजनिक सभा में पत्थरों से मारा जाता था। इस बार भी अफगानिस्तान में वही कानून लागू किया गया है, तो सवाल यही हैं, कि महिलाएं फिर करेंगी क्या? पढ़ाई पर पूर्ण प्रतिबंध तालिबान ने पिछले महीने महिलाओं की पढ़ाई पर फैसला लिया और 8 साल की उम्र से ज्यादा की बच्चियों की पढ़ाई-लिखाई पर पाबंदी लगा दी है। यानि, अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा बंद।
इसी तालिबान ने पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने के लिए ‘महिलाएं संपत्ति नहीं हैं’ का फरमान जारी किया था, लेकिन 4 महीने बाद ही तालिबान अपनी औकात पर आ चुका है। इसी साल मार्च में तालिबान ने अचानक फैसला लेते हुए लड़कियों के माध्यमिक विद्यालयों और हाईस्कूल में पढ़ाई पर पाबंदी लगा दी थी। जबकि, महिलाओं के यात्रा करने पर पिछले साल ही पाबंदियां लगाई गईं थीं, जिसमें कहा गया था कि, महिलाओं को पुरुष रिश्तेदार के बिना 45 मील से ज्यादा की यात्रा करने की अनुमति नहीं है। यानि, महिलाएं पूरी तरह से पुरूष की मर्जी पर निर्भर रहें। फिल्मों, टीवी में काम पर प्रतिबंध अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार ने महिलाओं के किसी भी तरह से फिल्मों, टीवी सीरियल्स या किसी भी तरह के नाटक में पुरूषों के साथ काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
यानि, महिलाएं सिर्फ उसी सीरियल या फिल्म में काम कर सकती हैं, जिसमें ना कोई पुरूष कलाकार हो, ना ही क्रू मेंबर्स में कोई पुरूष हो। यानि, महिलाओं से कोई भी क्रिएटिव काम करने की आजादी छीन ली गई है। तो फिर महिलाओं के पास घर में रहकर पेट भरने और मर्दो की मर्जी से सेक्स करने के अलावा कोई और विकल्प कहां बचता है, क्योंकि तालिबान राज में पुरूषों को सेक्स करने की पूरी आजादी है, नाबालिग लड़कियों के साथ भी।