आयकर दाखिल करने वालों की संख्या सवा तीन करोड़ से बढ़कर सवा आठ करोड़ हुई : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

नई दिल्ली
 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) का मुनाफा दिसंबर, 2023 को समाप्त चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 19 प्रतिशत बढ़कर 4,579 करोड़ रुपये हो गया।

एक साल पहले इसी तिमाही में बैंक ने 3,853 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया था।

बीओबी ने शेयर बाजार को बताया कि समीक्षाधीन तिमाही के दौरान उसकी कुल आय बढ़कर 31,416 करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में 27,092 करोड़ रुपये थी।

इस दौरान बैंक की ब्याज आय बढ़कर 28,605 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 23,540 करोड़ रुपये थी।

दिसंबर, 2023 के अंत तक बैंक की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घटकर सकल ऋण का 3.08 प्रतिशत रह गईं, जो एक साल पहले 4.53 प्रतिशत थीं।

इसी तरह, शुद्ध एनपीए भी सालाना आधार पर 0.99 प्रतिशत से घटकर 0.70 प्रतिशत रह गया है।

हालांकि, बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात दिसंबर, 2022 के अंत में 14.93 प्रतिशत के मुकाबले घटकर दिसंबर, 2023 में 14.72 प्रतिशत हो गया।

आयकर दाखिल करने वालों की संख्या सवा तीन करोड़ से बढ़कर सवा आठ करोड़ हुई : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने  कहा कि देश में आयकर दाखिल करने वालों की संख्या करीब सवा तीन करोड़ से बढ़कर लगभग सवा आठ करोड़ हो चुकी है।

उन्होंने बजट सत्र के पहले दिन लोकसभा एवं राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी सरकार ने भारत में कारोबार सुगमता को बेहतर किया है। सरकार कारोबार के लिए बेहतर माहौल उपलब्ध कराने को लेकर लगातार काम कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का प्रयास रहा है कि सामान्य देशवासी की जेब में अधिक से अधिक बचत कैसे हो। पहले भारत में दो लाख रुपये की आय पर कर लग जाता था। आज भारत में सात लाख रुपये तक की आय पर भी कर नहीं लगता। कर छूट और सुधारों के कारण भारत के करदाताओं को 10 साल में करीब ढाई लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है।''

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आयकर दाखिल करने वालों की संख्या करीब सवा तीन करोड़ से बढ़कर लगभग सवा आठ करोड़ हो चुकी है। यह बढ़ोतरी दो गुना से भी कहीं अधिक है। वहीं दिसंबर, 2017 में 98 लाख लोग माल एवं सेवा कर (जीएसटी) देते थे, आज इनकी संख्या एक करोड़ 40 लाख है।''

देश में व्यापारिक महौल पर मुर्मू ने कहा, ‘‘कारोबार सुगमता की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। बीते कुछ वर्षों में 40 हजार से ज्यादा अनुपालन हटाए या सरल किए गए। कंपनी अधिनियम और सीमित देयता भागीदारी अधिनियम में 63 प्रावधानों को अपराध की सूची से बाहर किया गया।''

उन्होंने कहा, ‘‘जन विश्वास अधिनियम द्वारा 183 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया। अदालत के बाहर विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान को मध्यस्थता पर कानून बनाया गया है। वन और पर्यावरण विभाग से मंजूरी मिलने में जहां 600 दिन लगते थे, वहीं आज 75 दिन से भी कम समय लगता है। साथ ही 'फेसलेस असेसमेंट' योजना से कर व्यवस्था में और पारदर्शिता आई है।''

सरकार ने मोबाइल फोन कलपुर्जों पर आयात शुल्क 15 से घटाकर 10 प्रतिशत किया

भारत ने मोबाइल फोन विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाले कलपुर्जों पर आयात शुल्क 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। इस कदम का मकसद स्थानीय उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना है।

वित्त मंत्रालय ने सेल्युलर मोबाइल फोन के लिए स्क्रू, सिम सॉकेट या धातु की अन्य यांत्रिक वस्तुओं सहित कलपुर्जों के आयात पर शुल्क में कटौती संबंधी अधिसूचना 30 जनवरी को जारी की।

इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के चेयरमैन पंकज महेंद्रू ने कहा कि यह भारत में मोबाइल विनिर्माण को प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में सरकार का एक महत्वपूर्ण नीतिगत हस्तक्षेप है।

महेंद्रू ने कहा, ''इलेक्ट्रॉनिक 2024 में भारत का 5वां सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र बन गया है, जो कुछ साल पहले 9वें स्थान पर था।''

उन्होंने कहा, ‘‘उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना की बदौलत इलेक्ट्रॉनिक निर्यात में 52 प्रतिशत से अधिक मोबाइल का योगदान है। यह पिछले आठ वर्षों के भीतर आयात से निर्यात आधारित विकास में योगदान देने वाला पहला उद्योग है।''

 

 

 

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