रायपुर। पुरे प्रदेश में बिचोलिये का राज इस कदर हावी हो गया है कि एक बानगी आप भी इनकी पहुंच और रुतबा देखकर झिझक उठेंगे ,जी हां हम बात कर रहे है आबकारी विभाग में हो रहे खुलेआम भ्रष्टाचार की….. आखिरकार क्या है मामला आइये जानते है ………
राजधानी रायपुर और उसके आसपास लगे हुए इलाको में संचालित शासकीय शराब दूकान कहने को तो शासन द्वारा संचालित किया जाता है। लेकिन इसके पीछे की सच्चाई जानकर आप हैरान रह जायेंगे क्योकि ये सब दुकानों को अधिकारी नहीं बिचोलिये के द्वारा संचालित किया जा रहा है। इन शराब दूकान में पहुंचने वाले मदिराप्रेमियो को बिचोलिये के द्वारा शासकीय दर से अधिक दर पर शराब की बिक्री की जा रही है, और यह पूरा खेल आबकारी विभाग के अधिकारियो की मिली भगत से किया जा रहा है। जिसका पुख्ता प्रमाण हमारे पास उपलब्ध है। छत्तीसगढ़ समाचार के संवादाता द्वारा राजधानी रायपुर के ट्रांसपोर्ट नगर में संचालित शराब दूकान के बारे में लगातार मिल रही ओवररेट की शिकायत के सम्बन्ध में जब आबकारी विभाग के सम्बंधित क्षेत्रीय अधिकारी राजेंद्र तिवारी से कल (गुरूवार) शाम 7 बजे विक्रय दर से अधिक कीमत पर शराब बेचने की शिकायत छत्तीसगढ़ समाचार के संवादाता ने एक नए नंबर को खरीदकर की तो उस नए नंबर पर कुcallcccc tछ ही समय में बिचोलिये के रूप में काम करने वाले दिलीप यादव का कॉल लगातार आने लगा। अब सवाल यह उठता है की जब छत्तीसगढ़ समाचार के संवादाता ने यह नया सिम लेकर जब सबसे पहले आबकारी अधिकारी को पहला कॉल करके शिकायत किया तो बिचोलिये दिलीप के पास छत्तीसगढ़ समाचार के संवादाता का यह नबर कहा से उपलब्ध हो गया क्योकि इस नए नंबर से अधिकारी के आलावा किसी अन्य को कॉल भी नहीं किया गया था , इसका मतलब साफ़ समाज में आता है की अधिकारियों और बिचोलियो के बीच कितनी गहरी सांठ गाँठ है यह तो साफ़ देखने को मिल रही है।
वैसे जब हमारे संवादाता ने अधिकारी राजेंद्र तिवारी से ओवररेट की शिकायत की तो वह तमतमा उठे और कहने लगे की शाम के सात बज चुके है मेरा आना नामुमकिन है। अब जो भी बात (कार्यवाही ) होगी वो कल सुबह ही हो सकती है आगे उन्होंने कहा की शाम के समय हमारे पास सिपाही और गाडी नहीं होने की वजह से नहीं आने की बात कही (जिसकी कॉल रिकार्डिंग हमारे पास सुरक्षित है) अब ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या सिर्फ शराब दूकान को रात 10 बजे तक संचालित किया जाता है लेकिन अधिकारी शाम होते ही नदारत हो जाते है। वही दूसरी तरफ अधिकारी की माने तो शाम को सिपाही और वाहन नहीं होने बात कही जा रही है क्या शाम होते ही इन बिचोलियो को छूट देने के लिए इन सबकी छुट्टी कर दी जाती है, और सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जब छत्तीसगढ़ समाचार के संवादाता ने अपने नए नंबर से केवल अधिकारी को कॉल किया था तो बिचोलिये दिलीप यादव के पास यह नंबर कहाँ से आया यह सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है। अब देखने वाली बात तो यह है कि इस तरह के अधिकारियों पर आबकारी विभाग क्या कार्यवाही करता है।