सेना में अब महसूस होने लगी जवानों की कमी, भर्ती प्रक्रिया पर 2 साल से रोक के चलते बने यह हालात

नई दिल्ली। कोरोना पाबंदियों के चलते भारतीय सेना में 2 साल से भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगी हुई है। इसके चलते अब सेना में जवानों की कमी महसूस की जाने लगी है। हर महीने बढ़ती इस कमी के बावजूद सैनिकों के ऑपरेशन्स में किसी तरह की रुकावट नहीं आई है। मामले के जानकार लोगों ने बताया कि भारतीय सेना के जवान लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। सेना में फिलहाल अधिकारी रैंक (PBOR) कैडर से नीचे के कर्मियों में लगभग 120,000 सैनिकों की कमी है। हर महीने कम से कम 5,000 जवानों की दर से कमी बढ़ रही है। हमारे पास 10 लाख से अधिक सैनिकों की अधिकृत ताकत है। फॉरवर्ड एरिया में तैनात सीनियर अधिकारी ने कहा, “भर्ती रुकने के कारण जनशक्ति पर दबाव बढ़ गया है, लेकिन फ्रंट-लाइन यूनिट्स की दक्षता कम नहीं हुई है। मैनपावर प्लानिंग पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि हम मौजूदा संख्या के साथ काम कर सकें।” कोरोना की स्थिति स्थिर और सामान्य होने के बावजूद सरकार ने भर्ती पर रोक को वापस नहीं लिया है। देश ने दो साल बाद अंतरराष्ट्रीय उड़ानें फिर से शुरू कर दी हैं, स्कूल फिर से खुल गए हैं और शॉपिंग मॉल व सिनेमा हॉल बिजनेस कर रहे हैं, लेकिन सेना भर्ती अभियान नदारद है।
‘सेना को यूनिट लेवल पर मैनपावर की कमी’
एक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ने पहचान न उजागर करने की शर्त पर हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि सेना को यूनिट लेवल पर मैनपावर की कमी का सामना करना पड़ रहा है। भर्ती पर रोक के दौरान भी फ्रंट-लाइन यूनिट्स के ऑपरेशनल और ट्रेनिंग से जुड़े कामकाज प्रभावित नहीं हुए हैं। अब वही कार्य कम जवानों के साथ किया जा रहा है। पर्याप्त योजना के साथ यह सुनिश्चित करना मुश्किल नहीं है कि लड़ाकू पंच कमजोर न पड़े।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर क्या कहा…
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस विषय पर एक सवाल का जवाब देते हुए पिछले महीने राज्यसभा को बताया था कि सेना कोरोना से पहले में हर साल औसतन 100 भर्ती रैलियां आयोजित करती थी, जिनमें से प्रत्येक छह से आठ जिलों को कवर करती थी। कोविड के आने से पहले सेना ने 2019-20 में 80,572 और 2018-19 में 53,431 कैंडिडेट्स की भर्ती की थी। वहीं, आर्मी के प्रवक्ता का कहना है कि कोरोना से हालात सामान्य होने पर दोबारा भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी।

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