63वीं सेंट्रल जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की बैठक हुई, 188 परियोजनाओं को मंजूरी

भोपाल

वर्ष 2024-25 के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण खनिजों जैसे आरईई, आरएम, ग्रेफाइट, लिथियम, वैनेडियम और पीजीई पर 188 परियोजनाओं को आज भोपाल में 63वीं सेंट्रल जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड (सीजीपीबी) की बैठक में मंजूरी दी गई है। यह पिछले वर्ष के लक्ष्य से 50% अधिक है। स्थानीय कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय खान मंत्रालय के सचिव वी एल कांताराव ने की। खान मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव संजय लोहिया और जीएसआई के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद उपस्थित थे।

बैठक में विभिन्न मंत्रालयों, राज्य खनन एवं भूविज्ञान निदेशालयों, सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ पदाधिकारियों, निजी खनन उद्योग के प्रतिनिधियों, खनन संघों और अन्य हितधारकों ने भाग लिया।

आगामी फील्ड सीज़न वर्ष 2024-25 के लिए प्रस्तावित वार्षिक कार्यक्रम पर चर्चा हुई। आगामी वर्ष 2024-25 के दौरान जीएसआई ने वर्ष 2024-25 के लिए लगभग 1055 वैज्ञानिक कार्यक्रम तैयार किए गए हैं। निकट भविष्य में नीलामी योग्य खनिज ब्लॉक उत्पन्न करने की क्षमता वाली 392 खनिज विकास परियोजनाएं शामिल की जायेंगी।

खनिज परियोजनाओं वाली लगभग 133 परियोजनाओं पर चर्चा हुई जिनमें खनन के लिए संभावित क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इसके अलावा सार्वजनिक हित में भूविज्ञान के सामाजिक लाभ वाली 111 परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

इनमें से 25 कार्यक्रम राज्य के अनुरोध/आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों पर शुरू किए जा रहे हैं, जिनमें ज्यादातर प्राकृतिक खतरों को कवर करने वाले कार्यक्रम शामिल हैं और 43 कार्यक्रम विश्वविद्यालयों/एजेंसियों के सहयोग से/आईआईटी, एनजीआरआई, डीआरडीओ, एनआरएससी-इसरो जैसे विभिन्न प्राधिकरणों के तहत लिये गये हैं । इनमें हैदराबाद विश्वविद्यालय, एएसआई, सीजीडब्ल्यूबी जल शक्ति मंत्रालय, एसजेवीएनएल, एनडब्ल्यूडीए, भारतीय रेलवे, बीआरओ और राज्य सिंचाई विभाग शामिल हैं।

बैठक में जीएसआई की एफएसपी मदों की मंजूरी, जोशीमठ टाउनशिप, चमोली जिले की भूवैज्ञानिक और भू-तकनीकी जांच पर रिपोर्ट जारी की गई। इस अवसर पर जीएसआई के अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशनों के साथ नवगठित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का खनिज मानचित्र भी जारी किया गया।

खान सचिव और सीजीपीबी के अध्यक्ष कांताराव ने खनन क्षेत्र में वैज्ञानिक एप्रोच के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने जीएसआई और अन्य अन्वेषण एजेंसियों से अन्वेषण की बढ़ाने का आग्रह किया और क्रिटिकल मिनरल की खोज पर जोर दिया। उन्होंने राज्य सरकारों से एनएमईटी फंडिंग के माध्यम से अन्वेषण परियोजनाओं के क्रियान्वयन में और ज्यादा उत्साह से काम करने का आग्रह किया।

बैठक में नेशनल जियोसाइंस डेटा रिपॉजिटरी (एनजीडीआर) पोर्टल का विवरण प्रस्तुत किया गया। वी.एल. कांताराव ने "खनन और उससे आगे" विषय पर एक प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। इसमें जीएसआई, पीएसयू, डीएमएफ, प्रमुख खनन कंपनियां, निजी अन्वेषण एजेंसियां, स्टार्टअप, मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी उपलब्धियों को दर्शाया है।

मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड (एमओआईएल), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल), नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (नाल्को), मिनरल एक्सप्लोरेशन कंसल्टेंसी लिमिटेड (एमईसीएल) जैसे सार्वजनिक उपक्रमों ने इस प्रदर्शनी में अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं और तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन किया। जहाँ एचसीएल, नाल्को और एचजेडएल जैसी कंपनियों ने आगंतुकों को अपने वीआर सिस्टम के माध्यम से खनन और खनिज प्रसंस्करण का अनुभव कराया, वहीं हिंडाल्को ने वीआर के माध्यम से टिकाऊ खनन की अपनी परियोजना का प्रदर्शन किया। बाल्को और टाटा स्टील ने भी हिस्सा लिया। भोपाल के इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों ने भी प्रदर्शनी देखी और खनन क्षेत्र की गतिविधियों की जानकारी ली।

 

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