अब अर्बन नक्सल का होगा खात्मा, एजेंसियों को मिला तीन साल का समय

नई दिल्ली
देश के दुश्मन सिर्फ आतंकी, जिहादी और बंदूकधारी नक्सली ही नहीं हैं बल्कि इसे अंदर से खोखला करने का सपना देखने वाले अर्बन नक्सल सबसे बड़ा खतरा हैं। सरकार, पुलिस और सेना आतंकियों, नक्सलियों से तो निपट लेती है, लेकिन 'बुद्धिजीवी' की खाल में छिपे अर्बन नक्सल देश विरोधियों की नई फौज तैयार कर लेते हैं। इसलिए देश में शांति और प्रगति की नींव मजबूत करनी है तो अर्बन नक्सलों की जमात का समूल विनाश करना ही होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसी मकसद से कानून लागू करने वाली एजेंसियों से कहा है कि वो 'शहरी नक्सलियों' के नाभि नाल पर चोट करें जो उनको देश के दुश्मनों से होने वाली फंडिंग है।

वामपंथी उग्रवाद के खात्मे का अभियान

शाह ने रविवार को छत्तीसगढ़ पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश दिया कि वो वामपंथी उग्रवाद के समर्थकों 'अर्बन नक्सल' की पहचान करके उनकी फंडिंग की गहन छानबीन करें। वामपंथी उग्रवाद के इकोसिस्टम पर अंतिम प्रहार करने और माओवादी फंडिंग को रोकने की रणनीति के तौर पर शाह ने यह कड़ा संदेश दिया है।

बैठक में इस बात पर सहमति थी कि छत्तीसगढ़ में अब भाजपा सरकार होने से विभिन्न नक्सल विरोधी एजेंसियों के बीच समन्वय बेहतर होगा और समयबद्ध योजना को इस खतरे को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तेजी से और बिना किसी व्यावहारिक बाधा के जमीन पर उतारा जा सकता है।

छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने से बदला माहौल

छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के गठन के बाद पहली बार वामपंथी उग्रवाद की स्थिति की उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता करते हुए शाह ने देश से नक्सलवाद को तीन साल के भीतर खत्म करने की व्यापक योजना का प्रस्ताव रखा। बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई और दोनों उपमुख्यमंत्री, राज्य के डीजीपी, सीआरपीएफ के डीजी, खुफिया ब्यूरो के निदेशक के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

 'बैठक में इस बात पर सहमति थी कि छत्तीसगढ़ में अब भाजपा सरकार होने से विभिन्न नक्सल विरोधी एजेंसियों के बीच समन्वय बेहतर होगा और समयबद्ध योजना को इस खतरे को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तेजी से और बिना किसी व्यावहारिक बाधा के जमीन पर उतारा जा सकता है।'

टाइम बाउंड एक्शन प्लान तैयार

समयबद्ध कार्य योजना में वामपंथी उग्रवाद के प्रभाव वाले इलाको को और कम करना शामिल है, जिसके लिए जवाबी कार्रवाई करने वाले बलों को 'मुक्त' माओवादी क्षेत्रों में और गहराई तक भेजा जाएगा। एक बार इन क्षेत्रों को माओवादियों के कब्जे से मुक्त करने के बाद सिक्यॉरिटी फोर्स वहां शिविर स्थापित करेंगे ताकि सुरक्षा संबंधी खामियों को पूरा किया जा सके ताकि स्थानीय प्रशासन वहां विकास और कल्याणकारी कार्यों को आगे बढ़ा सके।

फंडिंग पर चोट से खत्म होगा नक्सलवाद

शाह ने छत्तीसगढ़ पुलिस को निर्देश दिया कि वामपंथी उग्रवाद के मामलों की व्यापक जांच सुनिश्चित करें, मुकदमों पर कड़ी निगरानी रखें, माओवादियों की फंडिंग के स्रोतों को रोकें और मल्टि-एजेंसी सेंटर से सत्यापित सूचनाओं के आधार पर खुफिया आधारित अभियानों को आगे बढ़ाएं। शाह ने कहा कि ये सब करना जरूरी है क्योंकि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई अंतिम और निर्णायक चरण में प्रवेश कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *