नई दिल्ली
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि के दौरान देश में बिजली की खपत लगभग आठ प्रतिशत बढ़कर 1,221.15 अरब यूनिट हो गई। अप्रैल-दिसंबर 2022-23 में देश में बिजली की खपत 1,132.11 अरब यूनिट रही थी।
आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी को दर्शाती है बिजली की खपत
उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में बिजली की खपत में वृद्धि आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी को दर्शाती है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2022-23 में बिजली की खपत 1,504.26 अरब यूनिट थी, जो कि 2021-22 के 1,374.02 अरब यूनिट से अधिक है। बिजली मंत्रालय का अनुमान था कि 2023 में गर्मियों के दौरान देश में बिजली की मांग 229 गीगावाट तक पहुंच जाएगी। हालांकि बेमौसम बारिश के चलते अप्रैल से जुलाई के दौरान मांग अनुमानित स्तर तक नहीं पहुंच पाई। जुलाई, 2023 में मांग 209.03 गीगावाट तक गिरने से पहले जून में मांग 224.1 गीगावाट की नई ऊंचाई तक पहुंच गई थी। अगस्त में अधिकतम मांग 238.92 गीगावाट तक पहुंच गई थी, जबकि सितंबर में यह 243.27 गीगावाट के रिकार्ड उच्च स्तर पर थी। अक्टूबर में 222.16 गीगावाट, नवंबर में 204.77 गीगावाट और दिसंबर में बिजली की मांग 213.62 गीगावाट थी।
बारिश के कारण प्रभावित हुई बिजली की खपत
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस साल व्यापक बारिश के कारण मार्च, अप्रैल, मई और जून में बिजली की खपत प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में बिजली की खपत बढ़ी, जिसका मुख्य कारण उमस भरा मौसम और औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि रही।
पचास प्रतिशत बढ़ी बिजली की मांग
आंकड़ों से पता चलता है कि 2013-14 से 2022-23 तक बिजली की मांग 50.8 प्रतिशत बढ़ गई है। अधिकतम बिजली की मांग 2013-14 में जहां 136 गीगावाट थी वहीं सितंबर, 2023 में यह बढ़कर 243 गीगावाट हो गई है।
केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा?
इस महीने की शुरुआत में एक शिखर सम्मेलन में बढ़ती बिजली की मांग के बारे में बोलते हुए केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने बताया- 2030 तक अधिकतम बिजली की मांग 400 गीगावाट को पार कर जाने की संभावना है। दैनिक आधार पर मांग पिछले वर्ष के समान दिन की तुलना में आठ से 10 गीगावाट अधिक है।'' बिजली मंत्री ने कहा कि देश इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नए क्षमताएं जोड़ता रहेगा।