कम बर्फबारी कश्मीर में बनी मुसीबत, नदी में पानी की कमी, वाटर सप्लाई हो सकती है प्रभावित

श्रीनगर

भले ही कठोर सर्दी की 40 दिनों की लंबी अवधि जिसे 'चिल्लई कलां' कहा जाता है, शनिवार से 10 दिनों से भी कम समय में समाप्त हो रही है, लेकिन कश्मीरी बर्फ रहित सर्दी से डरे हुए हैं जो गर्मियों के महीनों में आपदा का कारण बनेगी।

मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ''हम 26 जनवरी से अलग-अलग स्थानों पर हल्की बर्फबारी की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन अभी तक, जम्मू-कश्मीर के पास कोई बड़ा पश्चिमी विक्षोभ नहीं आया है।''लेकिन अभी तक, जम्मू-कश्मीर के पास कोई बड़ा पश्चिमी विक्षोभ नहीं आया है।''
कहां-कितना रहा तापमान?

श्रीनगर में  न्यूनतम तापमान माइनस 3.7, गुलमर्ग में माइनस 4.6 और पहलगाम में माइनस 5.5 रहा। जबकि लद्दाख क्षेत्र के लेह शहर में न्यूनतम तापमान माइनस 13, कारगिल में माइनस 10.8 और द्रास में माइनस 12.8 रहा। जम्मू शहर में रात का न्यूनतम तापमान 5.9, कटरा में 4.6, बटोत में 1.9, भद्रवाह में माइनस 0.4 और बनिहाल में माइनस 1.4 रहा।

कश्मीर में कब से होगी बारिश और बर्फबारी?

मौसम विभाग के अधिकारी ने बताया कि 26 से 28 जनवरी तक जम्मू-कश्मीर में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश या बर्फबारी हो सकती है। अधिकारी के मुताबिक, अलग-अलग मॉडल के संकेतों के अनुसार 29 से 31 जनवरी तक कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश या बर्फबारी होने की संभावना है। बता दें कि कश्मीर में शुष्क मौसम और बगैर बर्फ वाली सर्दी के कारण रात में हाड़ कंपा देने वाली ठंड हो रही है। वहीं, दिन समान्य दिनों की तुलना में अधिक गर्म है।

यह खतरा सिर्फ सेब के बागों को नहीं है. आने वाले दिनों में सिंचाई की कमी के चलते सरसों, गेहूं और जौ की खेती नहीं हो सकेगी.  कम बारिश और ना के बराबर बर्फ़बारी से नदी नालों में पानी की कमी होने लगी हैं. झेलम में पानी न्यूनतम स्तर से एक मीटर नीचे चला गया है जो1115 साल का रिकॉर्ड है. सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर नरेश मल्होत्रा के अनुसार अभी कुदरत ही इस सिथति से लोगों को बचा सकती है और उनको उम्मीद है कि बुवाई का सीजन शुरू होने से पहले बारिश और बर्फ़बारी होगी और सब ठीक हो जाएगा लेकिन फिलहाल हालात गंभीर हैं.

लद्दाख के किसान भी दिखे परेशान
कश्मीर के साथ लद्दाख के लोग भी परेशान है. कारगिल निवासी मोहम्मद इस्हाक़ के अनुसार अगर जल्दी बर्फ नहीं गिरी तो उनके इलाके में जौ, मटर और खूबानी की खेती पर असर पड़ेगा. गांदरबल जिले के एक सेब किसान उमर रैना ने कहा, "हमारे किसानों को आने वाले महीनों में कम या बिल्कुल भी बर्फबारी नहीं होने का परिणाम भुगतना पड़ेगा, जब वे अपने बगीचों और खेतों में काम करना शुरू करेंगे, जब गर्मियों में पानी की कमी होगी."

पानी की आपूर्ति पर भी पड़ेगा असर
कश्मीर घाटी में पीने के पानी की आपूर्ति जल शक्ति विभाग करता है. उसके चीफ इंजीनियर की माने तो मौसम में आए इस बदलाव का असर आने वाले दिनों में पीने के पानी की सप्लाई पर भी पड़ेगा. उन्होंने कहा,  "अभी तक पानी की सप्लाई पर असर तो नहीं पड़ा है लेकिन आने वाले दिनों में कभी भी सप्लाई पूरी तरह रुक सकती है इसलिए लोगों को अपने घरों में पानी को स्टोर करने का प्रबंध करना चाहिए.'' निदेशक मौसम विज्ञान कश्मीर डॉ. मुख्तार अहमद के  अनुसार जनवरी के अंत तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कोई बारिश और बर्फबारी की भविष्यवाणी नहीं की गई है जो इसे सबसे शुष्क महीना बनाता है और अधिकतम तापमान भी 13-15 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया जा रहा है जो सामान्य से 10-12 डिग्री अधिक है.

 

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