नई दिल्ली
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता की बहाली के खिलाफ लखनऊ के एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे ना सिर्फ खारिज कर दिया गया बल्कि जजों ने वकील को फटकार लगाते हुए उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोक दिया। लखनऊ के वकील ने अपनी जनहित याचिका में पिछले साल अगस्त में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने वाली 7 अगस्त की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की थी। 'मोदी' उपनाम से संबंधित 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने के शीर्ष अदालत के आदेश के बाद उनकी लोकसभा सांसदी बहाल कर दी गई थी। पीआईएल की सुनवाई करते हुए जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने याचिका को 'तुच्छ' करार दिया, और कहा कि ऐसी याचिकाओं ने न केवल अदालत का बल्कि पूरे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री का कीमती समय बर्बाद किया है।
खंडपीठ ने कहा, "हर याचिका को अदालत की रजिस्ट्री में कई सत्यापन अभ्यासों से गुजरना पड़ता है।" उन्होंने कहा कि ऐसी याचिका पर ठोस जुर्माना लगाया जाना चाहिए ताकि वादियों को जनहित याचिका (पीआईएल) का दुरुपयोग करने से रोका जा सके। अपने संक्षिप्त आदेश में, पीठ ने कहा कि अदालत ने 20 अक्टूबर को वकील और याचिकाकर्ता अशोक पांडे की इसी तरह की एक और जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता की बहाली को चुनौती दी गई थी। उस वक्त भी पांडे पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
नई याचिका में पांडे ने तर्क दिया था कि दोषसिद्धि और सजा के आधार पर राहुल गांधी की अयोग्यता तब तक लागू रहनी चाहिए, जब तक कि इसे अपील में रद्द नहीं कर दिया जाता। पांडे ने शीर्ष अदालत से इस मुद्दे पर निर्णय लेने का आग्रह किया कि क्या किसी आरोपी की सजा को अपील अदालत या किसी भी अदालत द्वारा रोका जा सकता है और क्या सजा पर रोक के आधार पर, एक व्यक्ति जो कानून के संचालन से अयोग्यता का सामना कर चुका है, संसद/राज्य विधायिका के सदस्य के रूप में चुने जाने या सांसद होने के लिए योग्य हो जाएगा। पांडे ने अपनी याचिका में राहुल गांधी की सीट रिक्त होने की अधिसूचना जारी करने और वहां नए सिरे से चुनाव कराने का चुनाव आयोग को निर्देश देने की भी मांग की थी।
जस्टिस गवई की अगुवाई वाली पीठ ने पिछले साल 4 अगस्त को इस आधार पर कांग्रेस नेता की सजा पर रोक लगा दी थी कि ट्रायल जज यह बताने में विफल रहे थे कि राहुल गांधी कानून के तहत अधिकतम सजा के हकदार क्यों थे और उनकी अयोग्यता जारी रहने से क्या उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग संसद में उचित प्रतिनिधित्व से वंचित नहीं हो जाएंगे? राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनावों में केरल के वायनाड सीट से सांसद चुने गए थे। मोदी सरनेम केस में उन्हें 23 मार्च को सूरत ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया था और सजा सुनाई छी। इसके बाद लोकसभा सचिवालय ने उन्हें संसद से अयोग्य घोषित कर दिया था। सांसदी बहाली से पहले तक गांधी 131 दिनों तक सांसद के रूप में अयोग्य रहे थे।