भोपाल
प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने के बाद वन विभाग रातापानी अभयारण्य को प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद एक बार फिर शुरू कर दिया है। बाघों के संरक्षण को लेकर विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद विभाग को उम्मीद है कि अगर सब कुछ सही ढंग से चलता रहा तो आने वाले समय में सरकार रिजर्व टाइगर बनाने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर सकती है।
प्रदेश सरकार अगर रातापानी अभ्यारण को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए आदेश जारी करती है तो यह अभ्यारण्य प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व होगा। गौरतलब है कि रातापानी अभ्यारण्य टाइगर रिजर्व बनने की सभी शर्तों को पूरा करने में सक्षम है। क्योंकि यहां अभी वर्तमान समय में 40 बाघों के मूवमेंट करने की जानकारी है। इसके अलावा भारी संख्या में यहां तेंदुआ, स्लोथ रीछ, बारहसिंगा, सोनकुत्ता, धारीधार लकड़बग्घा सहित अन्य जंगली जानवरों की संख्या पर्याप्त मात्रा में है।
तीन जिलों में फैला हुआ है
जंगली जानवरों की उपस्थिति के अलावा रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्रफल के लिहाज से भी टाइगर रिजर्व बनने की शर्तों को पूरा करता है। यह अभ्यारण्य भोपाल, सीहोर सहित रायसेन जिले में फैला हुआ है। इस अभ्यारण्य की एरिया 823 वर्ग किलोमीट में है। जिसमें कोर एरिया 763.812 वर्ग किलोमीटर है। बप्ुर एरिया 59.253 वर्ग किलोमीटर है। जानकारी के मुताबिक कोर एरिया में तीन वन ग्राम और 12 राजस्व ग्राम आते हैं। अगर सरकार टाइगर रिजर्व बनाने के लिए नोटिफिकेशन जारी करती है तो विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती गांवों के विस्थापन को लेकर होगी। क्योंकि अभी नौरादेही टाइगर रिजर्व क्षेत्र से विभाग को विस्थापन कराने में पसीना आ रहा है। वन्य प्राणी शाखा के मुख्य अधिकारी असीम श्रीवास्तव ने बताया कि टाइगर रिजर्व बनाने के लिए विभाग ने सात साल पहले पहली बार प्रस्ताव बनाकर सरकार को दिया था।