अब तोते से शादी कर लें इमरान खान, तसलीमा नसरीन ने उड़ाया मजाक

इस्लामाबाद। बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने शनिवार को इमरान खान पर निशाना साधा। उन्होने कहा कि इमरान अब अपनी तीसरी पत्नी और आध्यात्मिक मार्गदर्शक बुशरा बीबी को तलाक दे सकते हैं, क्योंकि वह प्रधानमंत्री की कुर्सी से दूर होने जा रहे हैं। तसलीमा ने ट्वीट किया, “अब वह उसे तलाक दे सकते हैं और भाग्य बताने वाली किसी महिला तोते से शादी कर सकते हैं जो कहेगी कि इमरान कभी नहीं मरेंगे।” मालूम हो कि इमरान खान शनिवार को पाकिस्तान असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे हैं। तसलीमा ने कहा, “इमरान खान ने बुशरा से शादी की क्योंकि बुशरा ने अपनी विशेष आध्यात्मिक शक्ति से कहा था कि इमरान प्रधानमंत्री बनेंगे। क्या उसने भविष्यवाणी की थी कि वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे? हरगिज नहीं।” चुनाव जीतने के तुरंत बाद इमरान खान ने 2018 में बुशरा बीबी से शादी की, जिन्हें पिंकी पीरनी के नाम से भी जाना जाता है। विपक्षी दलों ने बुशरा बीबी पर पाकिस्तान की पहली महिला बनने के बाद से जादू टोना करने का आरोप लगाया। हालांकि बुशरा बीबी के बारे में सार्वजनिक तौर पर बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है।
2015 से बुशरा के पास जा रहे थे इमरान खान
पाकिस्तानी मीडिया ने बताया कि इमरान खान 2015 से आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए बुशरा बीबी के पास जा रहे थे और उनकी कई राजनीतिक भविष्यवाणियां सच हुईं। इमरान खान से शादी करने से पहले बुशरा बीबी की शादी ख्वार फरीद मेनका से हुई थी, जो एक सरकारी अधिकारी थे। पाकिस्तान में मची राजनीतिक उथल-पुथल को इमरान खान विदेशी साजिश का परिणाम मानते हैं। इस बीच बुशरा बीबी ने एक बार फिर सुर्खियां हासिल की, क्योंकि विपक्ष ने आरोप लगाया कि उन्होंने इमरान खान के भविष्य के लिए ‘जिन्स’ को खुश करने की खातिर चिकन जलाया।
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नेशनल असेंबली का सत्र जारी
बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नेशनल असेंबली का सत्र राजधानी इस्लामाबाद में शुरू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान पाकिस्तान के समय अनुसार सुबह 10:30 बजे शुरू हुआ। इससे पहले शीर्ष अदालत ने असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के 3 अप्रैल के फैसले को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ अवश्विास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और बाद में विधानसभा को भंग कर दिया था। कोर्ट ने इस कदम को असंवैधानिक बताया था।

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