नामांकित वैध उत्तराधिकारियों को भुगतान की प्रक्रिया भी तय

भोपाल

एक जनवरी 2005 के बाद नौकरी में आए शासकीय अधिकारी और कर्मचारी विभिन्न कारणों से नौकरी से हटाए जाने, निलंबित किए जाने और अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बाद भी  राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में अपना अंश देना जारी रख सकेंगे और इस योजना का लाभ लेते रहेंगे

वित्त विभाग के उपसचिव पीके श्रीवास्तव ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। अभी तक सरकारी नौकरी से हटाए आने या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के साथ ही शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों को पेंशन से भी वंचित कर दिया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकारण के नियमों के अनुसार राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में शामिल शासकीय सेवक को उनकी सेवानिवृत्ति के लिए आवश्यक अवधि से पहले ही अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाती है। सस्पेंड किया जाता है या नौकरी से हटाया जाता है तो उस शासकीय सेवक के संचित पेंशन कॉर्पस से एकमुश्त और वार्षिक राशि दी जा सकेगी।  यदि शासकीय सेवक नौकरी से बाहर होंने पर विकल्प देता है कि एक गैर सरकारी कर्मचारी की तरह वह स्थायी सेवानिवृत्ति के साथ राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में अपना अंशदान जारी रखना चाहता है तो वह ऐसा कर सकेगा।  इसके लिए फंड मैनेजर के पास जमा राशि के शासकीय सेवक को भुगतान के लिए प्रक्रिया तय कर दी गई है।

नवीन अंशदायी पेंशन योजना के तहत सेवानिवृत्त, सेवा त्याग और मृत्यु के मामलों में फंड मैनेजर के पास जमा राशि के शासकीय सेवक अथवा उसके नामांकित वैध उत्तराधिकारियों को भुगतान की प्रक्र्रिया भी तय कर दी गई है।

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