भोपाल
उच्च शिक्षा विभाग ने यूजी और पीजी कोर्स में प्रवेश लेने के लिए पात्रता लेने की व्यवस्था को खत्म कर दिया है। भले ही पात्रता लेने के लिए विद्यार्थियों को 150 रुपए का भुगतान करना होता था, लेकिन इससे बीयू को सालाना सवा करोड़ रुपए की इन्कम का नुकसान होना शुरू हो गया है। यह नुकसान सिर्फ बीयू ही बल्कि प्रदेश का हरेक पारंपरिक विवि को उठाना पड़ रहा है। जबकि राज्य शासन विवि को खर्च के लिऐ कोई अनुदान की राशि भी नहीं देता है। इससे विवि में आर्थिक संकट और बढ़ना तय हो गया है।
बीयू को पात्रता से सवा से डेढ़ करोड़ की होती थी कमाई
12वीं और यूजी पास विद्यार्थियों की पात्रता को बनाने का बंद कर दिया गया है। इससे प्रदेश के सभी विवि को सालाना होने वाली करोड़ों रुपये की इनकम बंद हो गई है। बीयू को महज पात्रता से ही सवा से डेढ़ करोड़ रुपये की इनकम होती थी। क्योंकि प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को अपनी पत्रता बनानी होती थी। अब पात्रता उन्हीं विद्यार्थियों की तैयार की जा रही है, जो दूसरे राज्यों से मप्र में पढ़ने के लिऐ आ रहे हैं। इसलिये अब ये इनकम करोड़ रुपये से हजारों पर आकर ठहर गई है। पात्रता सूबे के विश्वविद्यालयों के लिऐ एक आय का अच्छा स्त्रोत था। इसके बंद होने से विवि पर आर्थिक संकट जरुर बढ़ रहा है। जबकि विवि के कुलपति कई बार राजभवन की बैठकों में विश्वविद्यालयों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए राज्य शासन से अनुदान जारी करने की गुहार तक लगा चुके हैं।
पात्रता से निजी विवि भी पात्र
प्रदेश में वर्तमान में करीब 40 निजी विवि हो गए हैं। यहां ये यूजी की डिग्री करने के बाद विद्यार्थी पारंपरिक कोर्स में प्रवेश ले रहे हैं। इसके लिए वे पात्रता तक तैयार नहीं करा रहे हैं। जबकि नियमानुसान सिर्फ पारंपरिक विवि के विद्यार्थी एक से दूसरे पारंपरिक विवि में प्रवेश लेते हैं, तो उन्हें पात्रता की आवश्यकता नहीं होना चाहिए। इसके बाद भी निजी विवि के विद्यार्थियों को बिना पात्रता के पारंपरिक विवि के कोर्स में प्रवेश दिया जा रहा है। इससे कई प्रकार के फर्जीवाडेÞ सामने आ रहे हैं।