नई दिल्ली
नए साल 2024 का पहला ही दिन इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए डबल झटका लेकर आया है। गाजा पट्टी पर पिछले 88 दिनों से बमबारी करवा रहे नेतन्याहू अब ना केवल अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर बल्कि देश के अंदर भी अपने फैसलों की वजह से आलोचनाओं का शिकार हो रहे हैं। हमास आतंकियों के खिलाफ युद्ध में इजरायल का सुरक्षा कवच बने अमेरिका ने अब उससे मुंह मोड़ लिया है और इसी कड़ी में अमेरिका ने भूमध्यसागर के पूर्वी छोर में तैनात दुनिया के सबसे बड़े अपने युद्धपोत को वापस बुला लिया है।
अमेरिका ने हटाया सुरक्षा कवच
7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास आतंकियों के हमले के बाद जब इजरायल ने गाजा पट्टी पर हमला बोला था, तब अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों ने इजरायल के रुख का ना केवल समर्थन किया था बल्कि उसे सैन्य और आर्थिक मदद भी दी थी। इसी कड़ी में अमेरिका ने उसे सुरक्षा कवच देने के लिए भूमध्यसागर में अपने सबसे बड़े युद्धपोत यूएसस गेराल्ड आर फोर्ड को तैनात कर दिया था, ताकि इजरायल पर किसी भी पड़ोसी देश के हमले को नाकाम किया जा सके।
कैसा था अमेरिकी युद्धपोत का कवच
यूएस सिक्स्थ फ्लीट ने सोमवार को एक बयान में कहा, अमेरिकी नौसेना दुनिया के सबसे बड़े युद्धपोत को वापस बुला रही है, जिसे इज़राइल पर हमास के 7 अक्टूबर के हमले के बाद पूर्वी भूमध्य सागर में भेजा गया था। 100000 टन वजन वाले इस युद्धपोत पर F/A-18 सुपर हॉर्नेट जेट लड़ाकू विमानों की एक टुकड़ी भी तैनात थी। इसके अलावा इस पर एंटी मिसाइल सिस्टम भी तैनात थे। 1,100 फीट से अधिक लंबा, 255 फीट चौड़ा और 250 फीट ऊंचा, 18 बिलियन डॉलर का जहाज अब तक का बनाया गया सबसे बड़ा युद्धपोत है। इसका डेक F-35 लड़ाकू जेट सहित 90 विमानों को अपने साथ ले जा सकता है। यह वाहक इतना बड़ा है कि इसमें F-35s, F/A-18 सुपर हॉर्नेट, E-2D एडवांस्ड हॉकआईज, EA-18G ग्रोलर्स, SH-60/MH-60 सीहॉक हेलीकॉप्टर और अन्य हवाई हथियार सहित 90 विमानों आसानी से लोड किए जा सकते हैं।
इजरायली सुप्रीम कोर्ट से भी झटका
उधर, दूसरी तरफ इजरायल के अंदर बेंजामिन नेतन्याहू को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है। 15 जजों की खंडपीठ ने भारी बहुमत से फैसला देते हुए बेंजामिन नेतन्याहू के विवादित न्यायिक सुधारों को रद्द कर दिया है। इसी कानून के खिलाफ इजरायल में पिछले साल देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन हुए थे। सुप्रीम कोर्ट के 15 में से 8 जजों ने कानून के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा कि इससे "एक लोकतांत्रिक राज्य के रूप में इजरायल राज्य की बुनियादी विशेषताओं को गंभीर और अभूतपूर्व नुकसान होगा।" इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब संवैधानिक बुनियादी कानूनों में से एक को रद्द कर दिया गया है। इस ऐतिहासिक निर्णय से देश में तनाव बढ़ने की संभावना बढ़ गई है क्योंकि गाजा में हमास से लड़ प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू चहुंओर घिर गए हैं।
अदालत के फैसले की टाइमिंग अहम
इजरायली अदालत का ये फैसला ऐसे समय में आया है, जब प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में इजरायली फौज हमास के साथ जंग लड़ रही है और गाजा पट्टी से कुछ सैनिकों को हटाने का फैसला किया है। अदालती आदेश के बाद पीएमबेंजामिन नेतन्याहू एक बार फिर से विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं।
बेंजामिन नेतन्याहू सरकार पर खतरा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इजरायल की आपातकालीन सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं क्योंकि सरकार की एकजुटता अब खतरे में पड़ गई है। पीएम नेतन्याहू जहां इस कानून का समर्थन कर रहे थे और उसे लागू करने पर अड़े हुए थे,वहीं उनकी सरकार में वित्त मंत्री बेजलेल और रक्षा मंत्री योव गैलेंट इस कानून का विरोध कर रहे थे। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार के अंदर दो फाड़ हो चुका है। इस कानून की वजह से ही सरकार के अंदर पहले ही रार बढ़ गई थी और दो धड़े तैयार हो चुके थे, जो अब और बढ़ सकता है। विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री येर लापिद ने भी अदालत के फैसले का समर्थन किया है।