लंदन
ब्रिटेन में वेस्ट मिडलैंड्स में सिखों को " जान के खतरे" की चेतावनी जारी की गई है। मिडलैंड में सिखों को हत्या की धमकियां मिलने के बाद उनमें भय व्याप्त है। खालिस्तान अलगाववादी प्रचारकों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता के बीच ब्रिटिश पुलिस ने इन धमकियों जिसे उस्मान चेतावनी भी कहा जाता है, को लेकर सतर्क रहने की सलाह जारी की है।
सिख परिवार को वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस से मिली उस्मान चेतावनी
एक परिवार के तीन सदस्यों को मार्च में वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस से उस्मान चेतावनी मिली, जिसका अर्थ है कि मौत की धमकी या हत्या के जोखिम की खुफिया जानकारी लेकिन गिरफ्तारी को उचित ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी नहीं दी कि चेतावनियाँ, जो एक हाई-प्रोफाइल मामले के नाम पर हैं, क्यों जारी की गईं। वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा: “हमें जानकारी मिली है कि एक परिवार के सदस्यों को जान का खतरा हो सकता है। एक सिख शख्स जिसके भाई को पिता को उस्मान नोटिस मिला है, ने यूके टाइमस को बताया कि शुरुआत में ये वेस्ट मिडलैंड्स में धार्मिक कट्टरपंथी के द्वारा भेजा गया लगा, लेकिन ये निज्जर और पन्नू के केस से जुड़ा मामला है। इसके साथ ही लगता है कि ये प्रो खालिस्तानी अवतार सिंह खांडा के जहर देने से भी जूड़ा है। उन्होंने आशंका जताई कि “इसमें भारत सरकार का हाथ हो सकता है।”
फेडरेशन ऑफ सिख ऑर्गेनाइजेशन ने की यूके सरकार की आलोचना की
हालांकि, एक सिख का मानना है कि ये धमकियां ब्रिटेन के एक कट्टरपंथी सिख संगठन से आईं और इसमें भारत सरकार की कोई भागीदारी नहीं थी। रविवार को फेडरेशन ऑफ सिख ऑर्गेनाइजेशन (एफएसओ) की एक बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें ब्रिटेन में सिख कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के खतरे को सुनिशि्चित करने में विफल रहने और भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक रूप से अंतरराष्ट्रीय दमन की निंदा न करने के लिए यूके सरकार की आलोचना की गई। एक अन्य प्रस्ताव पारित कर उसमें सिख नेताओं से आग्रह किया गया कि वे ब्रिटेन के राजनेताओं को गुरुद्वारों में तब तक बोलने की अनुमति न दें, जब तक कि वे सार्वजनिक रूप से "प्रवासी भारतीयों में सिख कार्यकर्ताओं के भारत सरकार के अंतरराष्ट्रीय दमन" की निंदा नहीं करते।
UK सरकार की चुप्पी पर चिढ़ रही फेडरेशन
कनाडा में एक सिख अलगाववादी नेता की गोली मारकर हत्या के बाद भारत सरकार की सार्वजनिक रूप से निंदा न करने पर सिख समुदाय के नेताओं ने ब्रिटेन सरकार की आलोचना की है । सिख फेडरेशन का आरोप है कि इस धमकी के पीछे भारत का हाथ हो सकता है, क्योंकि खालिस्तानी आतंकी गुरुपवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के चलते अमेरिका की कोर्ट में भारतीय मूल के नागरिक निखिल गुप्ता पर केस चल रहा है।महासंघ ने सिख कार्यकर्ता अवतार सिंह खांडा के परिवार की कानूनी चुनौती का भी समर्थन किया, जो जून में उनकी अचानक मौत की जांच की मांग कर रहा है। सिख फेडरेशन के प्रमुख सलाहकार दबिंदरजीत सिंह, जो FSO के एक प्रमुख सदस्य हैं, ने कहा, "हम आम तौर पर यूके सरकार और यहां के अधिकारियों के दृष्टिकोण से चिंतित हैं, हमने उनकी ओर से लगभग पूरी तरह से चुप्पी देखी है।" उन्होंने इस देश में सिखों की सुरक्षा के बारे में कुछ नहीं कहा। ऐसा लगता है जैसे हम अब उतने सुरक्षित नहीं हैं। मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि ब्रिटेन में सिख विरोध प्रदर्शनों से दूर रहेंगे, वे अपनी आवाज़ नहीं उठाएंगे, क्योंकि उन्हें डर है कि क्या होगा।
शिकायतों का ब्रिटिश सरकार ने दिया करारा जवाब
हालांकि FSO की शिकायतों का ब्रिटिश सरकार ने करारा जवाब दिया है। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा “ब्रिटेन को अपने विविध समुदायों पर गर्व है, और ब्रिटिश सिख हमारे समाज की ताकत में बहुत योगदान देते हैं। "हम यूके में संभावित खतरों का लगातार आकलन करते हैं, और यूके में व्यक्तियों के अधिकारों, स्वतंत्रता और सुरक्षा की सुरक्षा को गंभीरता से लेते हैं।" बता दें कि इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार के जासूसों के हाथ होने का आरोप भी लगाया था जिसके बाद भारत-कनाडा के संबंधों में लगातार तनाव चल रहा है।
क्या होती है उस्मानी वार्निग ?
बता दें कि उस्मान वार्निग पुलिस के द्वारा हत्या की धमकी के बात दी जाती है। ये उस वक्त दी जाती जब इस बात की खुफिया जानकारी होती है, लेकिन किसी को गिरफ्तार करने के लिए सही सबूत नहीं रहते। ये नाम एक उस्मान परिवार से आया। जिसमें पुलिस ने अली उस्मान (एक व्यापारी जिसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।