रायपुर। कोई चीज कठिन नहीं हैं,बस हौसला चाहिए। नशे को रोकने के लिए जनजागरूकता का अभियान जो शुरू किया है घर, परिवार व समाज से लेकर आगे बढ़ेंगे तो मातृशक्ति में इतनी ताकत है कि हम सबके सामूहिक प्रयास से बड़े से बड़ा नशा करने वाले भाग खड़े होंगे। नशा करना छोड़ देंगे। नशामुक्त शहर बनाने हम आप सब धरातल से मूर्त रूप देने तक प्रयास करें तो कुछ भी असंभव नहीं हैं। वैचारिक रूप से इस पर गहन विमर्श करने के लिए आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
स्व सहायता समूह और अर्पण कल्याण समिति द्वारा देविका स्टार भवन कुशालपुर चौक में रविवार शाम को आयोजित-नशे के विरूद्ध युद्ध-जनजागरूकता अभियान एवं कार्यशाला में महिला समूह को संबोधित करते हुए रायपुर नगर निगम के अध्यक्ष प्रमोद दुबे ने कहा कि पहले तो आपकी उपस्थिति को प्रणाम करता हूं क्योकि नवरात्रि जैसे धर्म और आस्था से जुड़े पर्व के बीच इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित होना मतलब जिस मकसद से हम यहां इकट्ठे हुए जरूर सफल होगा। कौन क्या कर रहा है इस पर हमें नहीं जाना हैं,हम क्या कर सकते हैं इस पर आगे बढऩा है। नशा एक सामाजिक विकृति हैं इसलिए समाज में ही लेकर इसे जनजागरूकता अभियान शुरू किया है। शासन की ओर से अपने स्तर पर प्रयास हो रहे हैं,समाज कल्याण विभाग इस मुहिम में हर तरह से मदद कर रही है। नशा को रोकने जनजागरूकता के लिए कई प्रकार के उपाय है जैसे नुक्कड़ नाटक,पुलिस मित्र,वैचारिक विमर्श के लिए कार्यशाला जैसे और भी। मै दावें के साथ कह सकता हूं कि मन में संकल्प शक्ति हो तो कोई भी चीज कठिन नहीं हैं। हम आज ही नहीं आगे भी और बैठक करेंगे।
समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक भूपेन्द्र पांडेय ने अर्पण कल्याण समिति के इस प्रयास की सराहना की। उन्होने कहा कि शासन का भारत माता वाहिनी योजना नशे को रोकने के लिए एक बड़ा अभियान है। ग्रामीण अंचल में ब्लाक स्तर पर चिन्हांकित कर इसका संचालन किया जाता है। हर गांव में दस लोगों का एक समूह होता है,जो यह प्रयास करते हैं कि नशा करने वाले को कैसा रोका जाए या बदलाव लाया जाए। फिर भी यदि 15 दिन के भीतर कोई नशा नहीं छोड़ रहा है तो नशा मुक्ति केन्द्र में लाकर भर्ती कराया जायेगा। इस अभियान में और क्या बेहतर हो सकता है,आज जैसे आयोजनों और आपके विचारों को साझा कर व्यापक रूप दे सकते हैं। इससे पहले अर्पण कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रकाश शर्मा ने नशे के विरूद्ध उनकी संस्था क्या कार्य कर रही है अवगत कराया।
मेडिकल कालेज रायपुर की मनोरोग विशेषज्ञ डा.सुरभि दुबे ने बताया कि नशे को छुड़ाने के लिए मानसिक रूप से भी यह अहसास कराना होगा कि इसके दुष्परिणाम क्या हैं? लेकिन इसे डर-भय नहीं बल्कि सामूहिक प्रयास व समझाईश से संभव किया जा सकता है। संजीवनी कैंसर हास्पिटल रायपुर के डाक्टर अनिकेत ठोके ने बताया कि नशे के कई प्रकार है,नशा एक व्यक्ति करता है लेकिन उसका असर परिवार के सदस्य और समाज पर भी पड़ता है। यदि हम तंबाकू खाने वाले की ही बात करें तो पहले गले,फिर फेफड़े,पेट और अंडकोष तक कैंसर हो सकता है। इसे किसी प्रकार बहाना बनाकर छिपाया नहीं सकता है,उपचार ही निदान है। कम उम्र के स्कूली बच्चों में भी आज नशे की लत हो गई है। नशा न करें और न दूसरों को करने दें। लेकिन आज तो लोग नशे को फैशन मानने लगे हैं।
सीए संजय खरे ने बताया कि नशा किस प्रकार घर व परिवार को फाइनेंशियली डैमेज करता है। पुर्नवास विशेषज्ञ अर्पण राधेश्याम अशक्त सुविधा केन्द्र अमलेश्वर के डाक्टर नलनेश शर्मा ने बताया कि विभिन्न प्रकार की घटनाओं या क्राइम के लिए नशा ही जिम्मेदार है। नशे की लत से जो लोग मानसिक रूप से हार चुके है उनमें फिर से जीने की आस पैदा करें। उनके पुर्नवास केन्द्र में दुर्घटना या पैरालिसिस जैसे कारणों से अशक्त हो चुके लोगों को पुन: शारीरिक रूप से ठीक करने संबंधी उपचार किया जाता है। उन्हे फिर से जीवन यापन करने के लिए प्रेरित करते हैं। स्व सहायता समूह की महिलाओं ने उपस्थित एक्सपटर््स से सवाल जवाब के माध्यम से अपनी जिज्ञासा भी दूर कीं। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अमृता दीवान एवं मृत्युंजय शुक्ला ने किया। सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया।