बेंगलुरु.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए 2023 का साल बेहद शानदार रहा, जिसमें उसने चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यान उतारा और सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-L1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया. इस बीच इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने जानकारी दी कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इस साल कम से कम 12 प्रक्षेपण करेगी, जो पिछले रिकॉर्ड को पार कर जाएगा.
सोमनाथ ने भारत के पहले पोलारिमेट्री मिशन, एक्स-रे पोलारिमीटर (XPoSat) के सफल प्रक्षेपण के बाद एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘हम 2024 के लिए कम से कम 12 मिशनों की योजना बना रहे हैं. हार्डवेयर का उत्पादन करने और पूर्ण परीक्षण करने की हमारी क्षमता के आधार पर यह बढ़ भी सकता है.’ यह एक्स्पोसैट एक अंतरिक्ष वेधशाला है, जो ब्लैक होल और अन्य खगोलीय पिंडों का अध्ययन करेगी.
2023 में लॉन्च किए थे 7 मिशन
इससे पहले वर्ष 2023 में इसरो ने रिकॉर्ड सात मिशन लॉन्च किए, जिसमें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब चंद्रयान-3 की लैंडिंग और भारत की पहली सूर्य वेधशाला, आदित्य-एल 1 का प्रक्षेपण शामिल है, जिसके अपने गंतव्य, लैग्रेंज प्वाइंट-1 तक 6 जनवरी को पहुंचने की उम्मीद है. इन प्रक्षेपणों के अलावा, अंतरिक्ष एजेंसी ने प्रमुख प्रौद्योगिकी प्रदर्शन भी आयोजित किए, जो गगनयान अंतरिक्ष यान और दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान के लिए भविष्य के मिशनों का मार्ग प्रशस्त करते हैं.
गगनयान का साल
सोमनाथ ने कहा, ‘यह साल “गगनयान का साल” होगा. उन्होंने कहा, ‘2024 गगनयान की तैयारी का साल होने जा रहा है. हम 2025 में प्रक्षेपण का लक्ष्य बना रहे हैं, लेकिन इस साल हम अंतिम मिशन के लिए तैयार होने से पहले कम से कम दो और दौर के परीक्षण करेंगे.’
गगनयान, भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, तीन अंतरिक्ष यात्रियों के दल को तीन दिवसीय मिशन पर पृथ्वी की सतह से 400 किमी ऊपर की कक्षा में ले जाएगा और उन्हें सुरक्षित वापस लाएगा. अक्टूबर में टीवी-डी1 परीक्षण उड़ान प्रदर्शन के बाद, एजेंसी एक ह्यूमनॉइड रोबोट, जिसे व्योमित्र कहा जाता है, के साथ एक परीक्षण उड़ान और संभवतः 2025 के लिए निर्धारित मानवयुक्त गगनयान मिशन से पहले एक मानवरहित उड़ान को अंजाम देगी.
गगनयान मिशन के लिए पूर्वापेक्षाओं में कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का विकास शामिल है, जिसमें चालक दल को अंतरिक्ष में सुरक्षित रूप से ले जाने और वापस लाने के लिए ह्यूमन-रेटेड लॉन्च व्हिकल, पृथ्वी जैसा वातावरण प्रदान करने के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम और एक इमर्जेंसी इस्केप सिस्टम (आपातकालीन बचाव प्रणाली) शामिल है.