मैनपुरी
हिट एंड रन को लेकर बनाए गए नए कानून के खिलाफ ट्रक और बस चालकों की हड़ताल यूपी के मैनपुरी में हिंसक हो गई। यहां हड़ताली चालकों और पुलिस के बीच कहासुनी के बाद मामला बिगड़ गया। इसी दौरान चालकों की तरफ से पथराव शुरू हुआ तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इसके बाद भी मामला नहीं संभला को पुलिस ने पहले आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके बाद हवा में फायरिंग भी की। पथराव और लाठीचार्ज में कुछ पुलिस वालों और कई चालकों के घायल होने की भी खबर है। आला अधिकारी मामले को शांत करने में जुटे हैं। हालांकि अफसर फायरिंग से इनकार कर रहे हैं।
मैनपुरी जिले में केन्द्र सरकार के नए कानून के विरोध में ट्रांसपोर्टर की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। इस बीच ट्रक ड्राइवरों ने सड़क जाम करने का प्रयास किया। पुलिस ने जाम खुलवाया तो मामला उग्र हो गया। आक्रोशित ट्रक ड्राइवरों की भीड़ ने पुलिस टीम पर पथराव कर दिया। इस दौरान पुलिस ने स्थित को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। स्थिति अनियंत्रित होते देख हवाई फायरिंग की। पुलिस का कहना है कि करहल बाईपास मार्ग पर जाम के दौरान प्रदर्शनकारी और पुलिस में झड़प हुई। नए कानून के विरोध में ट्रक चालकों और अन्य वाहन चालकों ने जाम लगाया था। सूचना पर पहुंची पुलिस के साथ भी झड़प हुई। पुलिस ने प्रदर्शन करने वालों पर लाठियां फटकारीं। सूचना मिलते ही करहल थाने के साथ ही घिरोर और धन्नाहर थाना क्षेत्र की फोर्स भी मौके पर पहुंची है।
क्यों विरोध कर रहे हैं ड्राइवर?
केंद्र की मोदी सरकार ने रोड रेज या हिट एंड रन (रोड एक्सीडेंट) करके भागने वालों के खिलाफ कानून में बड़े बदलाव किए हैं। नए कानून के तहत, अगर कोई रोड एक्सीडेंट करके भाग जाता है और घायल को सड़क पर ही छोड़ देता है तो उसे 10 साल की सजा होगी और 7 लाख रुपए तक का जुर्माना किए जाने का प्रावधान है। हालांकि, मानवीयता दिखाने पर कुछ राहत का भी प्रावधान किया गया है। अगर एक्सीडेंट करने वाला ड्राइवर घायल व्यक्ति को हॉस्पिटल तक पहुंचाता है तो उसकी सजा कम कर दी जाएगी। सरकार का कहना है कि इससे मौतों की संख्या में कमी आएगी और लोगों को सही समय पर उपचार मिल सकेगा।
इसी कानून के खिलाफ बस और ट्रक के चालक हड़ताल कर रहे हैं। मंगलवार को हड़ताल का दूसरा दिन है। दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, यूपी, बिहार पंजाब, गुजरात, हिमाचल प्रदेश में ड्रक ड्राइवरों ने चक्काजाम किया हुआ है। ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन से जुड़े लोगों का कहना है कि देश में 95 लाख ट्रक-टैंकर हैं। इनमें से 30 लाख से ज्यादा ट्रक-टैंकर की सेवाएं ठप हो गई हैं। चालकों का कहना है कि हर बार हादसे में उनकी गलती नहीं होती है। अगर वह घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए रुकेंगे तो मॉब लिचिंग का शिकार हो सकते हैं। इसलिए कानून का विरोध कर रहे हैं।