उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर में हिंदू नववर्ष के मौके पर ऐतिहासिक शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा ने पूरे शहर में उत्सव व जोश का माहौल पैदा कर दिया। भाजपा नेता इसमें शामिल तो हुए, लेकिन कार्यक्रम सियासी ना दिखे, इसकी पूरी कोशिश की गई थी। शहर के तमाम चौराहे और रास्तों को केसरिया झंडों और फर्रियों से सजाया गया था। यह आयोजन भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति और नगर निगम (भाजपा बोर्ड) की ओर से किया गया था।
भाजपा में दिखा समन्वय
सनातन धर्म के अनुसार यह उत्सव प्रकृति के साथ एक समन्वय स्थापित कर वर्षभर के लिए निर्बाध जीवन की कामना है। यह अवसर प्रकृति में होने वाले बदलावों से समन्वय बैठाने के साथ-साथ उनके अनुरूप स्वयं को ढालने का संदेश देता है। यह बिंदु सियासत में भी दिखाई दिया। शोभायात्रा व सभा में भाजपा के सभी गुटों को एक साथ उत्साह के साथ कदम ताल करते हुए देखा गया। चूंकि इस कार्यक्रम में प्रत्यक्ष रूप से भाजपा संगठन का कोई रोल नहीं था, इसलिए यह और भी खास हो जाता है।
कांग्रेस ने संदेश तो भेजे पर उत्सव नहीं मनाया
नवसंवत्सर के मौके पर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को नवसंवत्सर के संदेश तो भेजे, लेकिन उत्सव के रूप में उदयपुर शहर में कभी कोई कार्यक्रम नहीं किया गया। कांग्रेस के पार्षद भी इस कार्यक्रम में खुलतौर पर शामिल होते हुए दिखाई नहीं दिए। इससे पहले नववर्ष समिति के तहत नगर निगम और आलोक संस्थान की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित होता रहा है।
भाजपा से टूटकर बनी जनता सेना ने भी किया स्वागत
वल्लभनगर के पूर्व विधायक रणधीर सिंह भींडर, भाजपा के दिग्गज रहे मांगीलाल जोशी जैसे नेताओं ने शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया से नाराज होकर जनता सेना बनाई थी। इन सभी नेताओं ने जनता सेना के कार्यकर्ताओं के साथ नवसंवत्सर पर निकलने वाली शोभायात्रा का स्वागत किया और इसमें शामिल हुए।
मेवाड़ में भाजपा की जड़े गहरी हुईं!
इस कार्यक्रम के भव्य आयोजन ने यह साबित कर दिया कि उदयपुर समेत मेवाड़ में भाजपा की जड़ें बहुत गहरी है। भाजपा को यहां कांग्रेस से चुनौती मिल पाना मुश्किल है। उदयपुर जिले की आठ सीटों में से अभी भाजपा के खाते में छह सीटे हैं। बीस साल पहले सियासत की यह स्थिति उलट थी।