डिफेंस सेक्टर में सेल्फ डिपेंडेंट हो रहा है भारत, एक साल में 14 महत्वपूर्ण रक्षा तकनीकें देश में तैयार

नई दिल्ली। विदेशों से आयात की जाने वाली रक्षा तकनीकों को भारतीय स्टार्टअप कंपनियां अब फटाफट तैयार करने लगी हैं। रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक साल के दौरान 14 ऐसी महत्वपूर्ण रक्षा तकनीकों को भारत में तैयार करने में सफलता हासिल की गई है, जिन्हें अभी तक विदेशों से आयात किया जा रहा था। इनके देश में ही निर्माण का रास्ता साफ होने से इन्हें आयात करने की बाध्यता खत्म हो गई है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इन तकनीकों में ब्रिज विंडो ग्लास एक है। इसे स्पेन की सेंट गोबैन कंपनी से आयात किया जाता था, लेकिन जयपुर के एक स्टार्टअप मैसर्स जीत एंड जीत ने इसका विकास और निर्माण शुरू कर दिया है। इसी प्रकार एमसीडी ग्लैंड्स को स्वीडन की रोक्सटैक से आयात किया जा रहा था, जिसे फरीदाबाद की मैसर्स वालमैक्स ने बनाना शुरू कर दिया है। इसी प्रकार जर्मनी की एक कंपनी से सीकेड्स को लासर्न एंड टूब्रो बेंगलुरु तथा आयुध कारखाने डीआरडीई ग्वालियर ने तैयार किया है। मुंबई की कंपनी मैसर्स जेम्स वाल्कर ने फ्रांस से आयातित दो तकनीकों ने तैयार किया है।
बैटरी लोडिंग ट्राली का देश में निर्माण
समुद्री पनडुब्बियों में इस्तेमाल होने वाले वातानुकूलन संयंत्र का आयात मैसर्स सनोरी फ्रांस से हो रहा था, जिसे कारद स्थित श्री रेफ्रीजरेशन ने तैयार कर लिया है। इसी प्रकार पनडुब्बियों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी लोडिंग ट्राली भी एक बहुतायत से इस्तेमाल होने वाला उपकरण है। इसके मैसर्स नेवल ग्रुप फ्रांस से आयात किया जाता था, जिसे अब हैदराबाद की स्टार्टअप कंपनी एसईसी इंडस्ट्रीज द्वारा तैयार किया जा रहा है।
पुणे की कंपनी ने रिमोट कंट्रोल वालव्स का निर्माण शुरू किया
मंत्रालय के अनुसार, रिमोट कंट्रोल वालव्स का आयात ब्रिटेन की कंपनी थामपसान से किया जा रहा था, जिसका निर्माण पुणे की कंपनी मैसर्स डेलवाल ने शुरू कर दिया है। वेंटीलेसन वालव्स का आयात भी ब्रिटेन से किया जा रहा था, जिसका निर्माण अहमदाबाद की कंपनी मैसर्स चामुंडा वालव्स द्वारा किया जा रहा है।
रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनेगा
मंत्रालय ने कहा कि इन तकनीकों के देश में निर्माण होने से इनके नामों में 40-60 फीसदी तक की कमी आने का अनुमान है। दूसरे, इससे हर साल भारी मात्रा में विदेश मुद्रा की बचत होगी। साथ ही रोजगार सृजित होंगे। रक्षा तकनीकों के देश में निर्माण होने से रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनेगा।
भारत पांच शीर्ष रक्षा आयातक देशों में
सरकार देश में अब तक 200 से अधिक बड़ी रक्षा तकनीकों और करीब 26 हजार छोटे कल पुर्जों के निर्माण के लिए कार्यक्रम जारी कर चुकी हैं। एक तय समय के बाद इनके विदेशों से आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध होगा। सरकार की कोशिश रक्षा सामग्री में आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ उसके निर्यात की होगी। स्टाकहोम पीस इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत पांच शीर्ष रक्षा आयातक देशों में है। लेकिन, निर्यात के मामले में वह 25वें पायदान पर है। दूसरी तरफ चीन पांच शीर्ष आयातक और निर्यातकों में शामिल हो चुका है।

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