‘कांस्पिरेसी गोधरा’ सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है

मुंबई

सत्य घटना से प्रेरित फिल्म ‘एक्सीडेंट या कांस्पिरेसी गोधरा’ के निर्माता बी.जे. पुरोहित और निर्देशक एम.के. शिवाक्ष हैं। मुख्य किरदार रणवीर शौरी, मनोज जोशी, हितु कनोडिया, डेनिशा घुमरा, अक्षिता नामदेव, गुलशन पाण्डेय, गणेश यादव, राजीव सुरति आदि ने निभाया है।

फिल्म का विषय गोधरा कांड की जांच के लिए गठित की गई नानावटी जांच आयोग की जारी रिपोर्ट पर आधारित है। इसके जरिए निमार्ता घटना की सच्चाई बताना चाहते हैं। फिल्म संदेश देती है कि दंगा हमेशा गलत होता है। ऐसी नौबत ही न आए कि कोई दंगा हो। यहां जानिए ‘एक्सीडेंट या कांस्पिरेसी गोधरा’ की मेकिंग कहानी निर्देशक एम.के. शिवाक्ष की जुबानी- हमारी पूरी टीम ‘एक्सीडेंट या कांस्पिरेसी गोधरा’ फिल्म के सब्जेक्ट पर पिछले पांच-छह साल से काम कर रही है। पहले गोधरा में ट्रेन बर्निंग और उसके बाद गुजरात दंगा हुआ। इन दोनों के लिए नानावटी मेहता इंक्वायरी कमीशन बैठा था, उसकी जो रिपोर्ट आई थी, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट दिया था। बेसिकली, यह पूरी फिल्म नानावटी मेहता कमीशन बेस्ड कोर्ट रूम ड्रामा है। फिल्म का फ्लैशबैक दंगे के रीजन पर आती है और उसके बारे में इंक्वायरी करती है कि कैसे हुआ? कहाँ से यह उठा? इसके मास्टरमाइंड कौन थे? कौन प्लान किया था? इसके रिकॉर्डिंग विजुअल चलता है। फिल्म में बहुत सारी ऐसी चीजें भी हैं, जो पब्लिक डोमेन में नहीं हैं, पर उनका प्रूफ हमारे पास है। रिचर्स के दौरान हम हजार से ज्यादा लोगों से मिले। यह इतना सेंसिबल टॉपिक है कि सब कुछ जानते हुए भी लोग बात नहीं करना चाहते। वे तमाम चीजों को लेकर सशंकित रहते हैं। लेकिन इसमें घटनास्थल पर रहने वालों से लेकर रेलवे कर्मचारी, ड्राइवर, फायर ब्रिगेड गाड़ियों को चलाने वाले आदि की इसमें सारी डिटेलिंग है। कायदा कहता है कि स्टेट में कोई दंगा वगैरह होता है, तब इंक्वायरी कमीशन वह स्टेट ही बना सकता है। अदर स्टेट या सेंट्रल नहीं बना सकता। लेकिन सेंट्रल रेलवे ने यूसी बनर्जी कमीशन बनाया। फिर भी उसे कंसीडर किया गया, तब उसकी हर चीज गलत पायी गई।

हम किसी के सपोर्ट या खिलाफ में फिल्म नहीं, बल्कि सच पर बनायी हैं, इसलिए बोला कि यह इंक्वायरी कमीशन पर बेस्ड फिल्म है। फिल्म में एक साथ तीन ट्रैक चलता है। पहला कोर्ट रूम ड्रामा चलता है। दूसरा ट्रेन जलाने की प्लानिंग वाली चीजों को दिखाया है, जो बैकग्राउंड में चलती है। तीसरा कारसेवक को दिखा रहे हैं कि वे कौन हैं, क्या करते हैं। उनकी लाइफ में रामजी कितना इंपोर्टेंट रखते हैं। कारसेवक को ही राम भक्त कहा जाता है। फिल्म में उनका एक इमोशनली अटैचमेंट है ताकि ड्रामेटिक न लगे। हमने कई एक्टर को अप्रोच किया, पर एक-एक महीना टाइम लेने के बाद भी लोगों ने फिल्म करने से मना कर दिया। ऐसी फिल्मों को करने के लिए कोई डायरेक्ट मना नहीं करता, बल्कि बहानेबाजी करके मना कर देते हैं। किसी ने डेट इश्यू तो किसी ने तारीफ करते हुए कुछ और रीजन देते हुए मना कर दिया। कुल 10-12 ज्यादा लोगों ने फिल्म करने से मना किया। हमारी फिल्म में कोई हीरो नहीं, बल्कि पूरी फिल्म ही हीरो है। सो किसी किरदार के लिए नहीं, बल्कि फिल्म करने के लिए मना किया। फिल्म में रणवीर शौरी एडवोकेट महमूद कुरैशी और गवर्नमेंट एडवोकेट रवींद्र पंड्या मनोज जोशी बने हैं।

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