दुनिया के टॉप-50 हथियार निर्माताओं में भारत के शामिल होने की तैयारी

रक्षा उत्पाद बनाने वाली डिफेंस कंपनियों को दुनिया की शीर्ष 50 कंपनियों में शामिल कराने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए उन्हें तकनीकी, प्रौद्योगिकी के अलावा मार्केटिंग के मोर्चे पर मजबूत बनाया जाएगा। इसमें डिफेंस कॉरिडोर निर्णायक भूमिका में सामने आएगा।
ग्लोबल प्लेटफार्म पर बड़ी सप्लायर बनेंगी ये कंपनियां
डिफेंस कॉरिडोर के जरिये 15 कंपनियों को ग्लोबल प्लेटफार्म पर बड़े सप्लायर के रूप में खड़ा करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। वर्तमान में दुनिया की शीर्ष 40 रक्षा उत्पाद कंपनियों में से दो सरकारी कंपनियां हैं जो रूस की हैं। शेष 38 कंपनियां अमेरिका, रूस और यूरोप की निजी सेक्टर की हैं। फिलीपींस, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, डेनमार्क और पड़ोसी देशों से ऑर्डर की शुरुआत की जाएगी।
30 हजार करोड़ रक्षा उत्पादों के घरेलू ऑर्डर
कंपनियों को 30 हजार करोड़ रक्षा उत्पादों के घरेलू ऑर्डर दिए जाएंगे। रक्षा उत्पादन विभाग, डीजीक्यूए, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री या और बड़े निजी सेक्टर को इस महत्वाकांक्षी योजना में शामिल किया गया है। इसी के तहत अॅर्डिनेंस फैक्टरियों को ट्रांसफर और टेक्नोलॉजी संधि (टीओटी) के साथ निजी कंपनियों से ङाथ मिलाने का रास्ता खोला गया है। अब ऑर्डिनेंस फैक्टरियां अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर के दम पर अपनी शर्तों के साथ दुनिया की किसी भी कंपनीय के साथ समझौता करने के लिए आजाद हैँ।
ऑर्डिनेंस फैक्टरी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि स्वदेशी स्तर पर तैयार सैन्य उपकरणों के अधिक से अधिक संख्या में निर्यात का ऑर्डर हासिल करना सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। घरेलू पूंजी खरीद का हिस्सा, जो वर्ष 2020 – 21 और 2021-22 में 58 फीसदी और 64 फीसदी निर्धारित किया गया था, उसको वर्ष 2022 के लिए रक्षा सेवाओं के पूंजी अधिग्रहण बजट का 68% तक बढ़ा दिया गया है, जो लगभग 85 हजार करोड़ रुपये है।

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