जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की बर्खास्तगी को बहाल रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पाकिस्तान बौखलाया, फिर उगला जहर, भारत को बताया पाखंडी

इस्लामाबाद
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की बर्खास्तगी को बहाल रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान की बौखलाहट हाल ही में देखने को मिली जब पाकिस्तान के केयरटेकर पीएम अनवारुल हक काकर ने पीओकी की असेंबली में बोलते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र एक पाखंड है। पाकिस्तानी पीएम के इन बयानों से साफ नजर आ रहा है कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश और भारत के हालिया घटनाक्रम से पाकिस्तान को कितनी तकलीफ पहुंची है। पाकिस्तानी पीएम ने भारत पर तानाशाही करने का भी आरोप लगाया है। अपने बयान में काकर ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है मगर उसे दुनिया का सबसे बड़ा पाखंडी देश कहा जाना चाहिए। पीओके की विधानसभा के विशेष सत्र में पाकिस्तान के पीएम में अपने देश के फटे हाल हालत को तोपने की कोशिश की। पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, काकर ने कहा चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद, उनका देश अपने मूल हितों से कभी पीछे नहीं हटेगा।

कश्मीर पर निकली बौखलाहट
अपनी आदतों के अनुरूप पाकिस्तान के पीएम ने अपने बयानों में वैसी ही बात कही जो अब तक पाकिस्तान के पुराने पीएम भारत के खिलाफ करते रहे हैं। पाकिस्तानी केयरटेकर पीएम ने कहा, "आज, मैं दुनिया से पूछता हूं कि उसकी सामूहिक चेतना कब जागेगी? कब तक कश्मीर के लोग बलिदान देते रहेंगे? कब तक उनकी आवाजें दबाई जाएंगी? कब तक नेताओं को मनमाने ढंग से हिरासत में रखा जाएगा? और कब तक वे यातना की फांस को सहते रहेंगे?"  पाकिस्तान के केयरटेकर पीएम ने कुछ बीजेपी नेताओं के हालिया बयानों की ओर इशारा करते हुए कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके का एक इंच भी क्षेत्र कोई नहीं छीन सकता। काकर ने कहा कि अगर पूरे यूरोप और अमेरिका द्वारा यूक्रेन को समर्थन देना वैध है, तो वही बात भारत के कब्जे वाले कश्मीर के मामले में भी वैध होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने भी अनुच्छेद 370 को माना अस्थाई
बता दें 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्तीकरण पर अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। इस निर्णय के माध्यम से कोर्ट ने भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की संपुष्टि की, जिसे प्रत्येक भारतीय अपने मन में संजोकर रखता है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का सरकार का निर्णय उचित था। कोर्ट ने इस तथ्य को भी स्वीकार किया कि अनुच्छेद 370 अपनी प्रकृति में ‘अस्थाई’ था।

 

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