खैरागढ़ की जंग..दो-दो हाथ करने तैयार कांग्रेस-भाजपा व जकांछ

रायपुर। खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए 24 मार्च तक नामांकन करना है लेकिन प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं,वे एक-दूसरे का इंतजार कर रहे हैं। यह सीट जकांछ विधायक देवव्रत सिंह के निधन के कारण रिक्त हुआ है इसलिए त्रिकोणीय मुकाबले के लिए उनकी उपस्थिति पर नजर है,हालांकि तब पार्टी से ज्यादा व्यक्तिगत जीत देवव्रत की बतायी गई थी। वैसे मुख्य मुकाबले में कांग्रेस व भाजपा दो-दो हाथ करने तैयार हैं। सरकार बनने के बाद हुए तीन उपचुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस मान कर चल रही है कि भूपेश हैं तो भरोसा है।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमनसिंह का प्रभाव क्षेत्र हैं इसलिए उनकी प्रतिष्ठा सीधे तौर पर दांव में लगी है। संभावित परिणाम देखें तो कांग्रेस को सिर्फ पाना है,जकांछ को अपना वजूद बचाना है और भाजपा को राजनीतिक संदेश देना है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में भाजपा की सरकार बनी है,छत्तीसगढ़ में उनकी स्थिति तीन साल बाद क्या है? संभवत: एक-दो दिनों में नाम घोषित होते ही चुनावी जंग तेज हो जायेगी।
वैसे नाम तो स्थानीय प्रदेश इकाई के द्वारा ही तय होना है लेकिन कहने को हाईकमान को सूची भेजी गई है मुहर लगते ही घोषणा हो जायेगी। भाजपा द्वारा तय समिति ने पहले तो दस नाम तय किए थे,अब बताया जा रहा है कि तीन नाम हाईकमान को भेजा गया है जिनमें पूर्व विधायक कोमल जंघेल,विक्रांत सिंह व डोमेश्वरी जंघेल नाम शामिल है। मात्र 870 वोट से हारने वाले कोमल जंघेल की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि खैरागढ़ उप चुनाव का जिम्मा खुद पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने उठाया है। उनके कहने पर ही उनके नजदीकी प्रदेश उपाध्यक्ष खूबचंद पारख को चुनाव प्रभारी बनाया गया है। इसकी एक बड़ी वजह है अभी तक सभी बड़े राजनीतिक फैसले रमन सिंह की मर्जी से ही होते आए हैं। खैरागढ़ रमन सिंह का प्रभाव क्षेत्र है। राजनांदगांव जिले से वे और उनके बेटे अभिषेक सिंह सांसद रह चुके हैं। ऐसे में अगर उप चुनाव में भाजपा की जीत होती है तो रमन सिंह के राजनीतिक भविष्य के लिए ठीक होगा। लेकिन अगर पार्टी चुनाव हार जाती है तो उसका नुकसान संगठन में सक्रिय रमन सिंह विरोधी गुट के लिए फायदेमंद हो सकता है। कह सकते हैं चुनाव में भाजपा के साथ रमनसिंह की प्रतिष्ठा सबसे ज्यादा दांव पर लगेगी।
वहीं कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद हुए तीन उप चुनाव जीत चुकी है। चित्रकोट, दंतेवाड़ा और मरवाही विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस लगातार जीती है। ऐसे में लगातार चौथी जीत का दबाव भी है। अगर ऐसा होता है तो 2023 के विधानसभा आम चुनाव में कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में होगी। सरकार के सामने यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि कोई सत्ता विरोधी लहर शुरू हुई भी है या नहीं। यह चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कद और बढ़ जायेगा। कांग्रेस में गिरवर जंघेल,दशमत जंघेल,यशोदा जंघेल,ममता पाल का नाम सामने आया है। तीसरी पार्टी जकांछ जिनके विधायक देवव्रत सिंह का निधन के कारण ही उपचुनाव हो रहा हैं,क्या उनके परिवार के किसी सदस्य को मैदान में उतारकर मुकाबला त्रिकोणीय बनाने का प्रयास अमित जोगी कर पायेंगे? यदि बाहरी नाम तय किए तो पार्टी को मुश्किल हो सकती है,वहीं राजपरिवार के लोकप्रियता की भी परीक्षा हो जायेगी।
क्या है चुनाव कार्यक्रम
निर्वाचन आयोग के कार्यक्रम के मुताबिक उप चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया 17 मार्च को अधिसूचना के प्रकाशन के साथ ही शुरू हो चुकी है। नामांकन की आखिरी तारीख 24 मार्च निर्धारित की गई है। 25 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। 28 मार्च तक प्रत्याशियों को अपने नाम वापस लेने का मौका दिया जाएगा। उसके बाद वैध प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया जाएगा। खैरागढ़ सीट पर मतदान 12 अप्रैल को होना है। 16 अप्रैल को मतगणना और परिणाम जारी होंगे।

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