ब्रिटेन के किंग चार्ल्स ने दुबई में चल रही संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट समिट में भारत में आई बाढ़ का किया जिक्र, चार्ल्स ने उठाया चुभने वाला सवाल

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ब्रिटेन के किंग चार्ल्स ने दुबई में चल रही संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट समिट में भारत में आई बाढ़ का जिक्र कर दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया में पर्यावरण ऐसा है कि चीजें पटरी से उतर गई हैं। उन्होंने कहा कि यदि तेजी से बदलते पर्यावरण को सुधारने के लिए कुछ नहीं किया गया तो फिर इसकी कीमत वैश्वित अर्थव्यवस्था को भी चुकानी पड़ेगी। COP28 यूएन क्लाइमेट समिट को संबोधित करते हुए किंग चार्ल्स ने वैश्विक नेताओं से कहा है कि बदलती जलवायु का संकट अब हमारे सामने ही खड़ा है और इसके खतरों से इनकार नहीं किया जा सकता।  

उन्होंने कहा कि मैं तो दिल से प्रार्थना करता हूं कि इस समिट में ऐसी सहमति बन सकेगी कि हम जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए कुछ कदम उठा सकेंगे। हम देख ही रहे हैं कि कैसे प्रकृति हमें चेतावनी दे रही है। यूएन समिट में किंग चार्ल्स ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर हिस्सा ले रहे हैं। उन्हें यूएई की ओर से आमंत्रण भेजा गया था। उन्होंने कहा कि इस संकट को टालने के लिए हम सरकारों के अलावा निजी संस्थानों को भी साथ ले सकते हैं। इसके अलावा इंश्योरेंस सेक्टर की भी अहम भूमिका हो सकती है। यही नहीं इनोवेशन को भी बढ़ाना होगा।

इस दौरान उन्होंने भारत में आई बाढ़ का भी जिक्र कर दिया। उन्होंने क्लाइमेट चेंज की वजह से ही भारत और पाकिस्तान में भीषण बाढ़ आई थी। इसके अलावा अमेरिका, कनाडा और ग्रीस के जंगलों में भी आग लग गई। उन्होंने कहा कि यदि हम तेजी से सुधार नहीं करते हैं और प्रकृति को नहीं सुधारते हैं तो पूरी दुनिया में सद्भाव और संतुलन खराब हो जाएगा। इसी की वजह से यह दुनिया बची हुई है। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यस्था भी क्लाइमेट खराब होने के बाद सुरक्षित नहीं रह सकती।

उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज को लेकर हम सभी की उम्मीदें आप लोगों के हाथ हैं। हमें इन उम्मीदों को जिंदा रखना होगा। किंग चार्ल्स 2021 में स्कॉटलैंड में आयोजित समिट में भी शामिल हुए थे। हालांकि बीते साल मिस्र में हुए कार्यक्रम में वह नहीं आए थे। इस मौके पर यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने कहा, 'हम जीवाश्व ईंधन के अत्यधिक इस्तेमाल से एक जलते हुए ग्रह को बचा नहीं सकते। हम दुनिया के तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक तभी घटा सकते हैं, जब जीवाश्म ईंधन को जलाना एकदम बंद कर दें। इसे करना विकल्प नहीं है बल्कि खत्म ही करना होगा।'

 

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