दन्तेवाड़ा। नक्सल प्रभावित सुदूर दक्षिण बस्तर दन्तेवाड़ा जिले की स्व-सहायता समूहों की महिलाएं अब स्वावलंबन का पर्याय बन चुकी हैं। ई-रिक्शा चलाती,वनोपज से सामान तैयार करती इन महिलाओं की तारीफ स्वयं प्रधानमंत्री कर चुके हैं। तेजी से तरक्की की राह पर बढ़ती इन महिलाओं के लिए भी महीने के खास दिनों में स्वस्थ रहते हुए पूरी ऊर्जा से अपने कार्य पर डटे रहना एक चुनौती थी, क्योंकि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता इनमें पूरी तरह नहीं थी। सरकार ने इस समस्या को देखते हुए वनांचल क्षेत्र की महिलाओं में स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने के लिए ‘मेहरार चो मान‘ यानी ‘महिलाओं का सम्मान‘ अभियान के जरिए बेहतरीन प्रयास शुरू किया है।
‘मेहरार चो मान‘ का उद्देश्य केवल किशोरियों और महिलाओं को सेनेटरी पैड उपलब्ध कराना न होकर उन्हें मासिक धर्म के बारे में विभिन्न भ्रांतियों के प्रति जागरूक कर गम्भीर बीमारियों से निजात दिलाना भी है। ‘मेहरार चो मान‘ अभियान से जुड़कर समूह की महिलाएं न केवल सेनिटरी पैड निर्माण से आय अर्जित कर अपने परिवार को संबल प्रदान कर रहीं हैं बल्कि किशोरियों और ग्रामीण महिलाओं को निःशुल्क सेनिटरी पैड वितरण कर जागरूक भी कर रहीं है। इस छोटी सी पहल का इतना असर हुआ है कि कभी आपस में मासिक धर्म के बारे में बात न करने वाली ग्रामीण महिलाएं अब बेबाक होकर अपनी समस्या बता लेती हैं। पूरे गांव और आसपास के इलाके में घरों में इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल न कर अब पैड्स का इस्तेमाल कर रही हैं।
जिला प्रशासन और एनएमडीसी के सहयोग से बनाए गए पांच केन्द्रों में लगभग 45 महिलाएं सेनेटरी पैड निर्माण का कार्य करती हैं। सेनेटरी पेड बनाने के कार्य में लगी महिलाओं को इससे लगभग 3 से 4 हजार रुपए की मासिक आमदनी भी हो रही है। इनके द्वारा बनाए गए सेनेटरी पैड को आश्रम और छात्रावास,स्कूल और पोटा केबिन में अध्ययनरत बालिकाओं को निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। इस कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के साथ स्व सहायता समूह की लगभग 4 हजार महिलाएं जुड़ी हैं। इन पांच केन्द्रों में हर माह लगभग 11 हजार सेनेटरी पेड का निर्माण होता है। कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए अब केन्द्रों को विस्तारित करने की कार्यवाही की जा रही है।
मां दंतेश्वरी स्व सहायता समूह की सदस्य श्रीमती अनिता ठाकुर ने बताया कि जिले के ग्राम संगठन के माध्यम से हम सेनिटरी पैड का निर्माण करते हैं। ग्राम संगठन में जुड़ी 8 समूहों की 10 महिलाएं सेनिटरी पैड बनाने का काम करती हैं। ये महिलाएं दो पंचायतों बालूद और चितालूर में सेनिटरी पैड उपलब्ध कराती हैं,जिसे ग्रामीण महिलाओं को निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। श्रीमती ठाकुर ने बताया कि सेनेटरी पैड निर्माण से महिलाएं हर माह 4-5 हजार रूपए की कमाई कर लेती हैं।
नई दिशा महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष निकिता मरकाम ने बताया कि कुल 12 महिलाओं ने सेनेटरी पैड निर्माण की ट्रेनिंग ली थी उनमें से 10 निर्माण में लगी हुई हैं। उन्होंने बताया कि गांव की महिलाओं में सेनेटरी पैड के उपयोग को लेकर जागरूकता की कमी थी, इसलिए उन्हें इसके फायदे और नुकसान के बारे में घर-घर जा कर और समूहों की मीटिंग में बताना पड़ा। महिलाओं को जब पता चला कि गंदा कपड़ा इस्तेमाल करने से संक्रमण और बीमारियां हो सकती हैं तो उन्होंने पैड का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। 12 वीं तक पढ़ी निकिता ने बताया कि उसके समूह की 3-4 महिलाएं ही 8 वीं से 12 वीं तक पढ़ी लिखी हैं। सेनेटरी पैड के निर्माण में लगी कई बेरोजगार महिलाएं अब खुश हैं कि उन्हें आय का साधन मिल गया है।