नईदिल्ली
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के बयान के अनुसार, मंडाविया ने कहा है कि सतर्क रहना और कोरोना वायरस के नए और उभरते प्रकारों के खिलाफ तैयार रहना महत्वपूर्ण है। मंडाविया ने कोविड का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच सहज समन्वय स्थापित करने को कहा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'हमें केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर हर तीन महीने में एक बार मॉक ड्रिल करना चाहिए। सर्वोत्तम प्रथाओं को आपस में साझा करने की भी जरूरत है।'
स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यों को याद दिलाया कि कोविड अभी खत्म नहीं हुआ है। इसलिए उचित सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया की योजना बनाने के लिए राज्यों को कोविड मामलों, लक्षणों और मामले की गंभीरता के उभरते साक्ष्यों की निगरानी करनी होगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव सुधांश पंत ने कोरोना पर वैश्विक और घरेलू स्थिति को लेकर एक प्रजेंटेशन दी। इसमें उन्होंने कहा कि ग्लोबल नंबर की तुलना में भारत में मामले काफी कम हैं। लेकिन, पिछले दो हफ्तों में सक्रिय मामलों में भारी बढ़ोतरी हुई है। यह 6 दिसंबर को 115 से बढ़कर आज 614 हो गई है।
पंत ने प्रजेंटेशन के दौरान कहा कि इसमें से 92.8 प्रतिशत मामले होम-आइसोलेशन के हैं। ये हल्की बीमारी का संकेत देते हैं। कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई है।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि अस्पताल में भर्ती होने वाले मामले अन्य चिकित्सीय स्थितियों के कारण होते हैं। जबकि कोविड एक आकस्मिक कंडीशन है। उन्होंने कहा कि केरल, महाराष्ट्र, झारखंड और कर्नाटक में डेली पॉजिटिविटी रेट में बढ़ोतरी देखी गई है। पॉजिटिविटी रेट प्रति 100 टेस्ट में पुष्टि किए गए मामलों की संख्या है।
- कितना खबरनाक है सब-वैरिएंट जेएन.1?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 के नए सब-वैरिएंट जेएन.1 को 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में वर्गीकृत किया है। साथ ही कहा है कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को ज्यादा खतरा नहीं है। - सब-वैरिएंट जेएन.1 कहां से आया है?
JN.1 को पहले कोरोना के सब-वैरिएंट BA.2.86 के एक हिस्से के रूप में 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के तौर पर वर्गीकृत किया गया था। - क्या मौजूदा कोरोना वैक्सीन जेएन.1 के खिलाफ असरदार है?
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि मौजूदा साक्ष्यों के आधार पर जेएन.1 से पैदा अतिरिक्त वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम को वर्तमान में कम माना गया है। डबल्यूएचओ के मुताबिक, मौजूदा टीके जेएन.1 और कोविड-19 वायरस के अन्य सर्कुलेटिंग वैरिएंट्स से होनी वाली गंभीर बीमारी और मौत से सुरक्षा प्रदान करते हैं। - भारत में कब मिला जेएन.1 का पहला केस?
8 दिसंबर को भारत में भी जेएन.1 वैरिएंट का पहला मामला सामने आया था। केरल में एक 79 साल की महिला इससे संक्रमित हुई थी। इस मामले के सामने आने पर केरल समेत पड़ोसी राज्य अलर्ट हो गए थे। वहीं, सोमवार (18 दिसंबर) को केंद्र सरकार ने कोरोना की स्थिति पर निगरानी रखने और अलर्ट रहने से संबंधित सलाह राज्यों के लिए जारी की थी। - क्या हैं जेएन.1 के लक्षण?
भारत में JN.1 मामले में इंफ्लुएंजा जैसी बीमारी के लक्षण दिखे हैं। ये लक्षण हल्के हैं। इनमें अचानक बुखार आना, बदन दर्द, थकान, खांसी और गले में सूजन जैसे लक्षण शामिल हैं। इस तरह के लक्षण इंफ्लुएंजा वायरस के अलावा राइनोवायरस या एडेनोवायरस के कारण भी हो सकते हैं। ये लक्षण आम सर्दी-जुकाम से थोड़े ज्यादा गंभीर होते हैं। - जेएन.1 से बचने के लिए क्या करें?
किसी अन्य वैरिएंट की तरह जेएन.1 में भी एहतियाती उपाय वही हैं। इनमें हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकेंड तक धोना, साबुन-पानी न होने पर कम से कम 60% अल्कोहल वाले हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना, नाक और मुंह को मास्क से अच्छी तरह ढंकना, सोशल डिस्टेंसिंग इत्यादि शामिल हैं।