भारत रत्न सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर संगीत की यूनिवर्सिटी थी -डॉ. भारती एन गुरुनाथ राव

रायपुर। कला निकेतन संगीत महाविद्यालय धमतरी में संगीत गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित कर सुर सम्राज्ञी भारत रत्न से विभूषित देश के सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर के निधन पर सुरीली गीतों के माध्यम से भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। वहीं संगीत के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाली डॉक्टर भारती गुरुनाथ राव ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि – लता मंगेशकर जी का जीवन संगीत को समर्पित रहे। स्वयं संगीत की यूनिवर्सिटी थी। छह दशकों से भी ज्यादा संगीत की दुनिया को अपने कोकिल कंठ से सजाया। उनकी सुरीली आवाज से सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिलती थी। भारतीय सिनेमा जगत में पाश्र्व गायक के रुप में प्रसिद्धि मिली। फिल्म इंडस्ट्रीज में गायन में सबसे बड़ा योगदान लता दीदी का रहा है । तत्पश्चात लता मंगेशकर जी के गाए भक्ति संगीत पायो जी मैंने राम रतन धन पायो उनके द्वारा गाये लोकप्रिय फिल्मी गीतों की प्रस्तुति दी। ऐसे मौके पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती प्रियंका ऋषि महोबिया ने भी अपने आप को रोक नहीं पाए और तो और दूर से ही सही लता जी की संघर्ष यात्रा को रेखांकित करते हुए भावांजलि प्रेषित की है-सफलता की राह कभी भी आसान नहीं होती है। लता जी को भी अपना स्थान बनाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। कई संगीतकारों ने तो शुरू शुरू में पतली आवाज के कारण काम देने से साफ मना कर दिया था। उस समय की प्रसिद्ध है पाश्र्व गायिका नूरजहां के साथ लता जी की तुलना की जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर स्थापित करने का अवसर मिला। लता जी की अद्भुत कामयाबी ने फिल्म जगत की सबसे मशहूर गायिका बना दिया।
डुमन लाल ध्रुव प्रचार प्रसार अधिकारी जिला पंचायत ने भारत रत्न सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर पर केंद्रित अलग-अलग प्रसंगों के माध्यम से बताया कि भारतीय फिल्म जगत में सर्वाधिक गीत रिकॉर्ड करने का गौरव प्राप्त है। फिल्मी गीतों के अतिरिक्त गैर फिल्मी गीत व विभिन्न भाषाओं की फिल्मी गीतों को बखूबी गाये हैं। 1947 में फिल्म ”आपकी सेवा मे गीत गाने का अवसर मिला और इसी गीत के बाद फिल्म जगत में पहचान बनती गई चूंकि क्योंकि उनके कंठ में मां सरस्वती बसती थी । उनके सभी गीत संगीत प्रासंगिक हैं जो हमेशा याद किए जाएंगे। संगीत शिक्षक हीरालाल साहू ने कहा कि लता मंगेशकर प्रारंभ से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ जाती थी तथा उसमें अविश्वसनीय क्षमता कूट-कूट कर भरी हुई थी। इसी विशेषता के कारण उनकी प्रतिभा को जल्द ही पहचान मिल गई। श्रद्धांजलि कार्यक्रम को श्रीमती कामिनी कौशिक, डॉ. राकेश सोनी, डॉक्टर भूपेंद्र सोनी, श्रीमती रचना नायडू, मेनका नेताम, श्रीमती वीणा नायडू, एन गुरुनाथ राव, होमेश्वर ध्रुव ने लता जी को याद करते हुए उनके गाये हुए प्रतिनिधि फिल्मी गीतों की प्रस्तुति दी । होमेश्वर ध्रुव ने तो बांसुरी की तान छेड़ कर भावांजलि अर्पित की।

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