राज्य में कृषि क्षेत्र के नवाचार का नया दौर

जैविक उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलने से उत्साहित हैं किसान
सुराजी योजना से समृद्ध हो रही खेती
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने विकास प्रदर्शनी का अवलोकन कर किसानों की मेहनत और लगन को सराहा
रायपुर।
छत्तीसगढ़ राज्य में कृषि के क्षेत्र में नवाचार का एक नया दौर शुरू हुआ है। कृषि के नवाचार और जैविक उत्पादों सहित छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी योजना के सुखद परिणामों पर आधारित जीवंत प्रदर्शनी साईंस कॉलेज मैदान में लगाई गई है। बीते तीन सालों में राज्य के किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों की मदद से कई नवाचार किए हैं। कृषि और उससे संबंधित इन नवाचारों को विकास प्रदर्शनी में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से कृषि विभाग के पंडाल में प्रदर्शित किया गया है। राज्य के सभी इलाकों के प्रगतिशील कृषक संगठन एवं समूह के लोगों द्वारा प्रदर्शनी में कृषि उत्पादों का प्रदर्शन सह विक्रय किया जा रहा है। कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे आज शाम विकास प्रदर्शनी का मुआयना किया। इस दौरान छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव एवं गोधन न्याय योजना के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. एस. भारतीदासन, संचालक कृषि यशंवत कुमार, उद्यानिकी माथेश्वरन व्ही. सहित अन्य अधिकारी उनके साथ थे।
मंत्री श्री चौबे ने किसान संगठनों और महिला समूहों के पदाधिकारियों द्वारा उत्पादित जैविक खाद्य सामग्री का अवलोकन किया और उनसे चर्चा की। मंत्री श्री चौबे ने किसानों एवं महिला समूहों की मेहनत और लगन की सराहना की। उन्होंने कहा कि आप सबकी मेहनत से छत्तीसगढ़ कृषि के क्षेत्र में देश का मॉडल राज्य बनने जा रहा है। कृषि विभाग की प्रदर्शनी में सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में नालों के विकास एवं उपचार, गौठान निर्माण, गोधन न्याय योजना, वर्मी उत्पादन, पशुपालन, राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से फसल उत्पादकता में वृद्धि एवं फसल विविधिकरण के अंतर्गत जीआई टैग्ड उत्पाद, अनाज और लघु धान्य फसलें, फल और सब्जियां, मसाले, सुगंधित चावल, फाईबर उत्पाद, सहित कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाईयों का शानदार तरीके से प्रदर्शन किया गया है।
कृषि विभाग के पंडाल में सरसों से तेल निकालने की मशीन, मुर्रा मशीन, केला फाईबर मशीन, आलू चिप्स मशीन सहित वर्मी खाद, दीया-गमला आदि का प्रदर्शन किया गया है। सुराजी गांव योजना के तहत नरवा विकास, गौठान, सामुदायिक बाड़ी एवं कम्पोस्ट खाद के उत्पादन से खेती को हो रहे लाभ का आकर्षक मॉडल भी प्रदर्शित किया गया है। वनांचल से लेकर मैदानी इलाके के किसानों द्वारा की जा रही जैविक खेती के माध्यम से उत्पादित खाद्यान्न पदार्थों की एक लंबी श्रृंखला यहां प्रदर्शित की गई है।
धमतरी हथबंद के कृषि धनेन्द्र साहू ने बताया कि देश के बाजारों में जैविक पद्धति से उत्पादित चावल की अधिक कीमत मिलने की वजह से अब इलाके के कृषक बड़े पैमाने पर सुगंधित धान की जैविक खेती करने लगे हैं। हथबंद में इस साल 35 एकड़ में, धमतरी में 500 एकड़ में और महासमुंद इलाके में 1000 एकड़ में धान की ऐसी व्हेरायटी की खेती की गई थी, जिससे ब्लैक राईस मिलता है। दिल्ली सहित देश के अन्य शहरों में इसकी डिमांड और कीमत अच्छी है। जीआई टैग्ड नगरी का दुबराज और सरगुजा का जीरा फुल सहित कर्मा चावल की कई व्हेरायटी मशरूम, मसाला, आचार, रहड़, तिवड़ा, कोदो-कुटकी भी यहां प्रदर्शन सह विक्रय किया जा रहा है।

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