सैन्य रिश्तों के साथ आंतरिक क्षमता और लॉजिस्टिक सहयोग भी मजबूत करेंगे भारत-अमेरिका

-भारत और अमेरिका के बीच 2 प्लस 2 संवाद में रिश्तों की मजबूती पर विचार विमर्श
-हिंद प्रशांत पर साझा दृष्टिकोण के साथ अंतरिक्ष व साइबर सहयोग में होगा विस्तार

वाशिंगटन
भारत और अमेरिका सैन्य रिश्तों के साथ आंतरिक क्षमता और लॉजिस्टिक सहयोग भी मजबूत करेंगे। दोनों देशों के बीच 2 प्लस 2 संवाद में रिश्तों की मजबूती पर विचार विमर्श के साथ हिंद प्रशांत पर साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने और अंतरिक्ष व साइबर सहयोग में विस्तार करने की बात कही गयी।

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस वार्ता में भारतीय पक्ष से विदेश मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव वाणी राव और रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव विश्वेश नेगी तथा अमेरिका की ओर से हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा मंत्री डॉ. एली रैटनर और दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू शामिल हुए।

इस दौरान कहा गया कि अमेरिका और भारत के बीच बीते कुछ वर्षों में व्यापार के साथ सैन्य रिश्ते भी तेजी से मजबूत हुए हैं। दोनों ही देशों ने स्वतंत्र हिंद-प्रशांत और चीन के खतरे के मद्देनजर अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना भी जारी रखा है। दोनों देशों ने हिंद महासागर क्षेत्र में संयुक्त समुद्री संबंधों के साथ-साथ अंतरिक्ष और साइबर डोमेन में सहयोग के विस्तार पर भी बात की।

संवाद के दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा विकास और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक प्राथमिकताओं पर भी चर्चा की। वार्ता में रक्षा एवं सुरक्षा, उभरती प्रौद्योगिकियों, लोगों के बीच संबंध, स्वच्छ ऊर्जा और आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन सहित अमेरिका-भारत साझेदारी के दायरे में महत्वाकांक्षी पहलों को विस्तार दिया गया। अमेरिका-भारत रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए रोडमैप को लागू करने में दोनों देशों द्वारा की गई प्रगति की समीक्षा हुई। नई सह-उत्पादन पहलों पर प्रगति का स्वागत कर आपूर्ति व्यवस्था की सुरक्षा और पारस्परिक रक्षा खरीद समझौतों पर बातचीत को तेजी से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध जताई गई।

वार्ता में अमेरिका-भारत संबंधों में परिवर्तनकारी गति को रेखांकित कर कहा गया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और समृद्धि बनाए रखने के लिए दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी आवश्यक है। अमेरिका ने स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ काम करने की रक्षा विभाग की प्रतिबद्धता पर सहमति जताई।