दुर्ग। छत्तीसगढ़ राज्य ने गोल्डन बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में फिर एक अहम उपलब्धि हासिल की है। ग्राम सिलघट में विश्व गायत्री मिशन के तत्वाधान में आयोजित पुंसवन संस्कार का सफल आयोजन किया गया। ग्राम सिलघट के रहने वाले दुर्गाप्रसाद टिकरिहा ने अपने दृढ़ संकल्प से भारत के संस्कार परंपरा को विश्व पटल पर स्थापित किया। यह अभिनव मुकाम हासिल करने के बाद श्री टिकरिहा ने कहा कि अपने गुरूदेव की प्रेेरणा व इच्छा से संकल्पित होकर किया गया यह प्रयास मानव में देवत्व की भावना जागृत करेगा। जब प्रत्येक मानव में देवत्व जागृत होगा तो यह धरती ही स्वर्ग बन जाएगा। सद्भावना, दया, सहयोग जैसी उदात्त भावनाएं इस पुंसवन संस्कार से आने वाली पीढ़ी के चरित्र व आचरण में झलकेगा। साढ़े पांच सौ पुंसवन संस्कार का आयोजन एक वल्र्ड रिकार्ड तो है ही, उससे बढ़कर गायत्री परिवार के 16 करोड़ परिजनों के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। गायत्री परंपरा के उपासक दुर्गा प्रसाद टिकरिहा ने कहा कि जन-जन तक उनके गुरूदेव की वाणी, विचार व सद्भाव पहुंचे, इससे बढ़कर हमारे लिए और कुछ नहीं। मानवीय मूल्यों के संस्कार एक मां के गर्भ के सहारे ईश्वरीय संस्कार में तब्दील हो, भारत जैसे देश में बड़ी जरूरत है। इस अवसर पर सिलघट के समस्त कार्यकर्ता , विशिष्ठ अतिथि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू केबिनेट मंत्री रविन्द्र चौबे विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम के संयोजक दुर्गा प्रसाद टिकरिहा ने समस्त अधिकारी, पुलिस बल , प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग के लिए आभार जताते हुए कहा कि सबके सहयोग से भव्य कार्यक्रम का आयोजन सम्भव हो पाया।