टीके को नए स्वरूप पर प्रभावी बनाने के लिए करना पड़ सकता है बदलाव : डॉ. गुलेरिया

नई दिल्ली। कोरोना के ओमिक्रॉन स्वरूप के बढ़ते प्रकोप के बीच टीके के प्रभाव को लेकर हर कोई चिंतित है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि कोरोना टीके को नए स्वरूप पर असरदार और प्रभावी बनाने के लिए उसमें बदलाव संभव है।
महाराष्ट्र के एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन्स ऑफ इंडिया के आयोजित डॉ. वीएस प्रयाग मेमोरियल ओरेशन-2021 में डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कोरोना का ओमिक्रॉन स्वरूप पूरी तरह नया है। यह भी स्पष्ट है कि वायरस का यह नया स्वरूप हल्की बीमारी का कारक है। टीका ही संक्रमण से बचा सकता है। हमें यह भी याद रखना होगा कि वायरस के नए स्वरूप से बचाव के लिए टीकों में बदलाव संभव है। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि हमारे पास दूसरी पीढ़ी का टीका है, यह हमें हमेशा याद रखना होगा। वायरस के खिलाफ मौजूदा टीका असरदार है, लेकिन नए स्वरूप के कारण टीके से बनी इम्युनिटी प्रभावित हो सकती है। ऐसे में टीकों में बदलाव या सुधार की गुंजाइश है।
उन्होंने कहा कि हर साल सामान्य बीमारियों से बचाव के लिए नए टीके का निर्माण विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उपलब्ध कराए गए सर्विलांस आंकड़ों के अनुसार होता है। ऐसा बदलाव कोरोना वायरस के नए स्वरूप के अनुसार भी संभव है।
बाईवैलेंट टीके पर अध्ययन जारी
डॉ. गुलेरिया ने बताया कि बाईवैलेंट टीके पर अध्ययन जारी है। उन्होंने कहा, कह सकते हैं कि अगर डेल्टा और बीटा स्वरूप एक टीके में मिश्रित हो जाएं तो उसे बाईवैलेंट टीके कह सकते हैं। दक्षिण अफ्रीका से आ रही प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार उन लोगों में ओमिक्रॉन से संक्रमण का खतरा ज्यादा है जो पहले संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, हालांकि इसकी पुष्टि के लिए और आंकड़ों की जरूरत है।
स्वरूप आएंगे और म्यूटेशन भी होंगे
डॉ. गुलेरिया ने स्पष्ट कहा कि नए स्वरूप आएंगे और उसमें म्यूटेशन भी होंगे। वायरस अधिक संक्रामक हो सकता है, जीवित रहने के लिए वो तेजी से अपना दायरा बढ़ा सकता है। ऐसी स्थिति में अगर हमने सुरक्षा मानकों में लापरवाही की या कोरोना सम्मत व्यवहार का पालन नहीं किया तो स्थितियां वायरस के अनुकूल बन सकती है, जो हमारे लिए या देश के लिए खतरनाक या चिंताजनक हो सकती हैं।
युवाओं को शिकार बना रहा स्वरूप
डॉ. गुलेरिया ने यह भी कहा कि दक्षिण-अफ्रीका से मिल रही जानकारी के अनुसार यह स्वरूप बीमारी के हल्के लक्षण का कारक है। हालांकि यह भी निकलकर सामने आ रहा है कि यह युवाओं को अपना शिकार बना रहा है। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन कितना अधिक खतरनाक और घातक होगा यह आने वाले कुछ सप्ताह में पता चल जाएगा। इसी के अनुसार आगे की रणनीति बनानी होगी।
जीनोम सीक्वेंसिंग अब अत्यधिक अहम
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि वायरस का नया स्वरूप जिस तेजी से बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में जीनोम सीक्वेंसिंग अत्यधिक अहम हो गई है। बड़े पैमाने पर सीक्वेंसिंग करनी होगी। टीकाकरण की चुनौतियों पर उन्होंने कहा कि टीकों का बराबरी में वितरण ही टीकाकरण का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। हर व्यक्ति को टीका लगेगा तभी कोरोना से मजबूती से लड़ा जा सकेगा। सावधानी ही भविष्य के सभी खतरों से बचाएगी।
राहत : संक्रमण की वजह से मौतों में 50% की कमी
देश में लंबे समय बाद कोरोना से मौतों में कमी दर्ज की गई है। पिछले एक दिन में करीब 50% तक यह कमी देखने को मिली है। सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में संक्रमण के चलते एक दिन में 132 लोगों की मौत हुई है। इससे पहले रविवार को 264 मौतें दर्ज की गई थीं। वहीं पिछले एक दिन में 6,563 नए मामले सामने आए हैं और 8,077 लोग स्वस्थ हुए हैं।
नाक से बूस्टर खुराक देने की मांगी अनुमति
भारत बायोटेक कंपनी ने नाक के जरिए बूस्टर खुराक देने की अनुमति मांगी है। कंपनी ने सोमवार को केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन की विशेषज्ञ कार्यकारी समिति को आवेदन भेजा है जिसमें तीसरे चरण के परीक्षण का जिक्र करते हुए कंपनी ने यह अनुमति मांगी है। कंपनी का दावा है कि नाक के जरिए वैक्सीन देने की इस तकनीक का इस्तेमाल कोवाक्सिन ही नहीं बल्कि कोविशील्ड जैसी दूसरी वैक्सीन में भी किया जा सकता है।
28 दिन तक चलेगी कोवाक्सिन की शीशी
कोरोना के खिलाफ देश की पहली स्वदेशी कोवाक्सिन में वैज्ञानिकों और बदलाव किया है। इसके तहत एक बार शीशी खुलने के साथ यह 28 दिन तक चल सकती है। अभी तक चार घंटे में ही सभी खुराक लगाना जरूरी था। सोमवार को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी ने एक बताया कि इसके लिए वैक्सीन की शीशी को 2 से आठ डिग्री के तापमान पर रखे रहना बहुत जरूरी है।

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