मुख्य आरोपियों ने सार्वजानिक रूप से मांगी माफ़ी
कवर्धा। 3 अक्टूबर को हुए झंडा विवाद का आखिरकार पर्दाफाश हो गया है। आपसी विवाद को धार्मिक स्वरुप दे कर इसे बढ़ा दिया गया था और इसे राजनैतिक स्वरुप दे दिया गया था। ज्ञातव्य है कि शहर के लोहरा नाका चौक में झंडे को लेकर दो समुदाय में विवाद हुआ था। जिसके बाद इस विवाद ने धार्मिक और राजनैतिक रूप ले लिया। इसके विवाद के चलते शहर में सांप्रदायिक तनाव फ़ैल गया, और कर्फ्यू लगाने की स्थिति निर्मित हो गई। 5 अक्टूबर को शहर में जमकर बवाल हुआ और पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। इस घटना में कई लोग घायल भी हुए। इसके बाद शहर की स्थित तनाव पूर्ण हो गई, और शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। इसके घटना का विपक्षियों ने भरपूर फायदा उठाया और सरकार पर जमकर हमला बोला। लेकिन राज्य सरकार के कुशल नेतृत्व और स्थानीय नेताओं-विधायक की मेहनत से कवर्धा शहर में शांति बहाल हुई। इतना ही नहीं, विधायक मो. अकबर ने उसी स्थान, जहां से इस विवाद की शुरुआत हुई थी, वहां पर 108 फ़ीट का भगवा स्थापित करने 600 वर्गफुट की जमीन भी उपलब्ध करवाई।
इस घटना को राजनैतिक रूप देकर पार्टियों ने भी खूब उछाला। लेकिन अब इस घटना का असली कारण सामने आया है। आपसी विवाद के चलते 3 अक्टूबर को यह घटना हुई थी, जिसे काफी बढ़ा-चढ़ा कर धार्मिक स्वरुप दिया गया था। घटना के मुख्य आरोपियों सलमान, रिजवान और रेहान ने 7 दिसंबर को लिखित में अपना बयान दिया है कि 3 अक्टूबर को उनके आपसी विवाद के कारण झंड विवाद हुआ था, जिसके बाद 5 अक्टूबर को अशांति फैली थी। उन्होंने कहा कि इस विवाद में मुस्लिम समाज का कोई लेना देना नहीं है, यह उनका आपसी विवाद था, जिसके लिए तीनों ने सार्वजानिक रूप से माफ़ी मांगी है। इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।बाद में इन्हें जमानत पर रिहा किया गया था।