राष्ट्रपति ने स्वस्थ पर्यावरण पर भी बहस और चर्चा करने का आह्वान किया

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने एक स्वस्थ पर्यावरण और जलवायु न्याय के अधिकार पर बहस और चर्चा करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, प्रकृति की दुर्दशा के चलते जलवायु में अपरिवर्तनीय बदलाव हो रहे हैं और हम पहले से ही इसके हानिकारक प्रभाव को देख रहे हैं। विश्व इस कठोर वास्तविकता को लेकर सजग हो रही है, लेकिन निर्णायक बदलाव करने का संकल्प अभी तक नहीं लिया गया है। हम प्रकृति माता को औद्योगीकरण के सबसे बुरे प्रभावों से बचाकर इसे अपने बच्चों को वापस देने के ऋणी हैं। समय हाथ से निकल जा रहा है। राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारत ने घरेलू और साथ ही हाल ही में आयोजित वैश्विक जलवायु सम्मेलन में कदम उठाए हैं। यह पृथ्वी के स्वास्थ्य को बहाल करने में एक लंबा रास्ता तय करेंगे। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में भारत का नेतृत्व और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के उपायों की एक श्रृंखला विशेष रूप से प्रशंसनीय है।

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