नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने देश में प्रशासनिक सेवाओं के नैतिक पुनरुत्थान का आह्वान किया जिससे आम आदमी को सेवा प्रदान करने में सुधार लाया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि विकास का लाभ लोगों तक पहुंचे। इस संबंध में, उन्होंने भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता और शासन के सभी स्तरों पर पूर्ण पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का आग्रह किया। यह देखते हुए कि भ्रष्टाचार लोकतंत्र के मर्म को नष्ट कर देता है, उन्होंने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) के तहत भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सख्त और समयबद्ध कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से जुड़े भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों के दीर्घ रूप से लंबित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र निपटाने का आह्वान किया। इसके साथ-साथ, श्री नायडु ने सावधान किया कि वास्तविक सक्रिय कार्रवाई करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को हतोत्साहित या परेशान न किया जाए। उन्होंने कहा, भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, लेकिन हमें अधिकारियों को व्यापक जनहित में निर्भीक निर्णय लेने से निरूत्साहित नहीं करना चाहिए। उपराष्ट्रपति आज उप-राष्ट्रपति निवास में झारखंड के पूर्व राज्यपाल और भारत सरकार के पूर्व कैबिनेट सचिव प्रभात कुमार द्वारा लिखित पुस्तक लोक सेवा नैतिकता
के विमोचन के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। श्री नायडु ने कहा कि समाज में नैतिक मूल्यों में सामान्य रूप से गिरावट आई है और उन्होंने नैतिक भारत
के लिए व्यापक आधार वाले सामाजिक आंदोलन का आह्वान किया।