मुर्गी पालन से महिलाओं को मिला रोजगार और आय का जरिया

थोड़ी से पूंजी साल भर में बढ़कर एक लाख हुई
कवर्धा।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा महिलाओं को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाए जाने की कोशिश अनवरत रूप से की जा रही है। बीते तीन सालों में छत्तीसगढ़ में विभिन्न विभागों एवं शासकीय योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को समूह के माध्यम से रोजगार एवं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की पहल के सार्थक परिणाम भी सामने आने लगे हैं। गौठानों से जुड़ी लगभग सैकड़ों महिलाएं समूह के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के साथ-साथ अन्य आयमूलक गतिविधियों को अपनाकर लाखों रूपए का कारोबार और लाभांश अर्जित करने लगी है।
कबीरधाम जिले के विकासखण्ड कवर्धा के अंतिम छोर में बसे ग्राम पथर्रा की महिलाएं मुर्गी पालन कर स्वालंबन की ओर कदम बढ़ा रही है। समूह के अध्यक्ष श्रीमती कुन्ती नेताम सचिव ललिता पोर्ते एवं इन्द्रणी धुर्वे जो सभी अनुसूचित जनजाति वर्ग के है, हम ग्रामीण महिलाएं मेहनत मजदूरी एवं कृषि का कार्य करते थे, हमारे पास स्वयं का रोजगार नही था। जब हमारे गांव पथर्रा बिहान योजना अंतर्गत समूह बनाने के लिए सी.आर.पी. दल पहुची थी तब हम सभी महिलाएं इकट्ठे हुए हमें आगे बढ़ना था एवं खुद के रोजगार के लिए हम लोगो ने समूह बनाकर स्वरोजगार करने को मन मे ठानी। 10 महिलाएं आपस में मिलकर जय बूढ़ादेव महिला स्व सहायता समूह का 2 अगस्त 2017 को गठन किया। 6 माह पश्चात् सामुदायिक में निवेश निधि की राशि 60 हजार प्राप्त हुई। इसी बीच हमारे ग्राम पथर्रा में कृषि विज्ञान केन्द्र एवं मनरेगा के अभिसरण से मुर्गी शेड बना, मुर्गी पालन के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र नेवारी में एक सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त किया। 500 नग बाल्टियर देशी चूजा एवं 50 किलोग्राम चारा पशुपालन विभाग से 9 हजार रु. जमाकर प्राप्त किया था। कृषि विज्ञान केन्द्र नेवारी से 80 नग कड़कनाथ, अनुदान मिला तथा 300 नग काकरेल, 200 किलो ग्राम चारा एवं आवश्यक दवाई लाकर मुर्गी पालन इकाई का संचालन किया गया। 1 लाख 525 रुपए का मुर्गी विक्रय कर समूह लाभ अर्जित किया। आज हम आत्मनिर्मता की ओर कदम बढ़ाते हुए हमारी आमदनी में वृद्धि हुई है। अब हम स्वयं के राजगार पाकर बहुत खुश हैं और अपने परिवार के साथ अच्छे जीवन यापन कर रहे हैं ।

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