…. उसी मुख्य बिंदु का निराकरण बिना जन सुनवाई की तैयारी शुरू
.तिथि पहले ही हो चुकी है जारी अब खाना पूर्ति की तैयारी
रायगढ़। जिले के पूर्वांचल में स्थित एमएसपी के विभिन्न प्लांट के विस्तार व नए प्लांट की स्थापना के लिए जन सुनवाई होने वाली है। पूर्वांचल क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा एमएसपी के प्रदूषण व फ्लाई ऐश की समस्या से हलाकान है। इसे लेकर समाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा शिकायत की गई थी इसके बाद जन सुनवाई को निरस्त कर दिया गया था लेकिन आश्चर्य की बात है कि जिन मुद्दों को लेकर शिकायत की गई थी उसकी जांच अभी हुई नहीं कि जन सुनवाई के लिए नई तारीख का एलान भी कर दिया गया। हालांकि यह बात अलग है कि इसके जांच के लिए आदेश हो गई है लेकिन अभी जांच हुई नहीं है। और आने वाले 17 नवम्बर को जन सुनवाई की तैयारी शुरू हो गई है।
इसे प्रबन्धन की गजब की सेटिंग ही कहें कि तमाम कवायद के बाद भी धननबल रसूख के बल पर जन सुनवाई निरस्त होने के महज कुछ ही दिनों बाद नई तारीख का प्रकाशन करवा दिया जाता है। जबकि प्रदूषण के जो मुद्दे थे वहीं के वहीं धरे के धरे रह गए। आम जनता और आबोहवा पर प्रदूषण का चाहे जो भी असर पड़े इससे हमें क्या? हम उद्योगपति हैं और हमारा काम उद्योग लगाना है आम जनता से हमें क्या लेना देना…अगर ऐसा नहीं तो फिर इस जन सुनवाई क्यों? क्या कभी इस बात की वास्तविक जांच होगी कि प्रबन्धन द्वारा फारेस्ट की कितनी जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा किया है और फारेस्ट उस मुनारे की जांच होगी जिसे हटा कर किसी और स्थान पर स्थापित करा दिया गया है। फारेस्ट के अधिकारी भी उद्योगपति की जी हुजूरी में लगे हुए हैं। पर्यावरण अधिकारी को भी इससे कोई लेना देना नहीं क्योंकि उन्हें तो सिर्फ अपनी ड्यूटी निभानी है आज यहां तो कल कहीं और। प्रदूषण और लापरवाही के मामले में पहले ही इसमें कार्रवाई के लिए पर्यावरण की जांच टीम द्वारा आदेश जारी किया गया था और बिजली काटने तक के आदेश हो चुके थे लेकिन इन तमाम कवायद के बाद भी जनसुनवाई होने वाली है। इसे ही कहते हैं गजब की सेटिंग।