झीरम नरसंहार की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपना सहीं संदेश नहीं : सुशील

षडयंत्र की जांच के लिए सरकार एक वृहत आयोग का गठन करे
रायपुर।
झीरम नर संहार के लिए गठित न्यायिक आयोग की तरफ से अपनी रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना तय और मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन है। प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सामान्यतया जब भी किसी न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है तो आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है। झीरम नरसंहार के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्र आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना ठीक संदेश नहीं दे रहा है।
जब आयोग का गठन किया गया था तब इसका कार्यकाल 3 महीने का था तीन महीने के लिए गठित आयोग को जांच में 8 साल कैसे लग गया ? आयोग ने हाल ही में यह कहते हुए सरकार से कार्यकाल बढाने की मांग की थी कि जांच रिपोर्ट रिपोर्ट तैयार नही है इसमें समय लगेगा। जब रिपोर्ट तैयार नहीं थी आयोग इसके लिए समय मांग रहा था फिर अचानक रिपोर्ट कैसे जमा हो गयी ? यह भी शोध का विषय है। उन्होंने पूछा है कि ऐसा क्या है जो सरकार से छुपाने की कोशिश की जा रही है?
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशीलआनंद शुक्ला ने कहा कि झीरम हमले में कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं की एक पूरी पीढ़ी सहित 31 लोगो को खोया है ।झीरम देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा राजनैतिक हत्या कांड था । इस हमले की पीछे की पूरी सच्चाई सामने आनी ही चाहिए। कांग्रेस ने हमेशा ही इस नरसंहार के षडयंत्र की जांच की मांग करती रही है। इस पूरे मामले में पूर्ववर्ती सरकार की और एनआईए की भूमिका संदिग्ध रही है। उन्होंने कहा है कि पार्टी राज्य सरकार से मांग करती है कि यदि झीरम कांड के व्यापक जांच के लिए एक वृहत न्यायिक जांच आयोग का गठन कर जीरम की षड्यंत्र की नए सिरे से जांच करवाया जाय।
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि प्रदेश की जनता इस मामले के पीछे के षड्यंत्रकारियों को बेनकाब होते देखना चाहती है।

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