शुभ होता है दशहरा पर नीलकंठ को देखना, जानें विजयादशमी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

विजयादशमी को रावण पर भगवान राम की जीत और भैंस दानव महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय के रूप में भी मनाया जाता है।
विजयादशमी को दशहरा नाम से भी जाना जाता है। नेपाल में दशहरा को दशैन के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि का दसवां दिन दशहरा उत्सव के रूप में मनाया जाता है। दशहरा पर भारत में विभिन्न स्थानों पर, आतिशबाजी के साथ-साथ बुराई की जीत या विनाश का प्रतीक रावण के पुतले जलाए जाते हैं। इस बार यह पर्व 15 अक्टूबर दशमी के दिन आयोजित हो रहा है। इस दिन विशेष पूजा की जाती है। दृक पंचांग के मुताबक दशमी तिथि 14 अक्टूबर को शाम 06:52 बजे शुरू होगी और 15 अक्टूबर को शाम 06:02 बजे समाप्त होगी। वहीं श्रवण नक्षत्र 14 अक्टूबर को सुबह 09:36 बजे से श्रवण नक्षत्र समाप्त – 15 अक्टूबर को सुबह 09:16 बजे तक रहेगा। वहीं विजय मुहूर्त 15 अक्टूबर को दोपहर 02:02 से दोपहर 02:48 तक रहेगा। दशहरा के दिन विशेष पूजा की जाती है।
दशहरा के दिन होने वाले पूजन
शमी पूजा, अपराजिता पूजा और सीमा अवलंघन या सीमोलंघन कुछ ऐसे अनुष्ठान हैं जिनका आयोजन विजयादशमी के दिन किया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार अपराहन के समय इन अनुष्ठानों को करना चाहिए। दशहरा के दिन शस्त्र पूजन भी किया जाता है। इस दिन क्षत्रियों द्वारा शस्त्र पूजन, ब्राह्मणों द्वारा सरस्वती पूजन और वैश्यों द्वारा वही पूजन किया जाता है।
क्या है पूजन विधि
सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर साफ कपड़े पहने जाते हैं।
गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाई जाती है।
गाय के गोबर से नौ गोले व दो कटोरियां बनाई जाती है।
एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें।
प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित की जाती है।
यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो वहां भी ये सामग्री अर्पित करें।
अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा दें. गरीबों को भोजन कराएं।
रावण दहन के पश्चात् शमी वृक्ष की पत्ती जिसे सोना पत्ती भी कहा जाता हैं, अपने परिजनों को दें।
बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद प्राप्त करें।
ये है दशहरा पूजन की सामग्री
दशहरा की पूजा में चावल, चंदन, मोली (लाल धागा), रोली, दीपक, अगरबत्तियां, नारियल, पुष्प, मिठाई, फल, जल, दूध, चीनी, दही, घी, मधु, सूखे मेवे, यज्ञोपवीत आदि की जरूरत होती है। इसके साथ ही दशहरा की पूजा के अंत में आरती करना अनिवार्य होता है। आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
दशहरा पर नीलकंठ देखना शुभ
वहीं दशहरा के दिन नीलकंठ देखना शुभ होता है। मान्यता है कि इस दिन नीलकंठ का दर्शन हो जाए तो आने वाले साल में आर्थिक उन्नति, समृद्धि, सम्पन्नता आती है। इसके अलावा दर्शन करने वाला को रोग भय आदि नहीं होते हैं। दशहरा अबूझ मुहुर्त माना जाता है। इस दिन मांगलिक कार्यक्रम किए जाते हैं।

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