हाईकोर्ट ने सांसद सरोज पाण्डेय पर लगाया 6 हजार रूपये का जुर्माना

भिलाई। कांग्रेस के प्रत्याशी लेखराम साहू ने सांसद सरोज पांडेय के निर्वाचन को चुनाव याचिका के माध्यम से चुनौती दी है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्रॉस एग्जामिनेशन से मना करने पर राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय पर 6 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है क्योंकि सांसद सरोज पाण्डेय के अधिवक्ता ने और समय मांग लिया। हाईकोर्ट ने सुनवाई की तिथि आगामी 26 अक्टूबर को तो कर दिया लेकिन हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि आज न्यायालय में आये तीन गवाहों के खर्चंी की दो दो हजार रूपये भरपाई करनी होगी।
उल्लेखनीय है कि साल 2018 में राज्यसभा के लिए चुनी गईं सांसद सरोज पांडेय के निर्वाचन को कांग्रेस के प्रत्याशी लेखराम साहू ने चुनाव याचिका के माध्यम से चुनौती दी है। नियमों के मुताबिक चुनाव याचिकाओं का निपटारा 6 माह में करना होता है, लेकिन कोरोना काल के चलते डेढ़ साल तक गवाही शुरू नहीं हो पाई थी। मामले में शुक्रवार को सुनवाई होनी थी। इसमें गवाहों का क्रॉस एग्जामिन यानी विपक्ष के वकील को सवाल-जवाब करने थे। कोर्ट ने आज प्रति-परीक्षण नहीं करना था तो पहले से याचिकाकर्ता को सूचना दिया जाना चाहिए था। सूचना नही मिलने के कारण गवाहों का आना व्यर्थ हो गया इसलिए उन्हें खर्चे की भरपाई होनी जरूरी है।
सांसद के अधिवक्ता ने जताई असमर्थता और मांगा समय
सरोज पाण्डेय के निर्वाचन के मामले में सुनवाई के लिए गवाहों को हाजिर होने के लिए 28 सितंबर को ही शपथ पत्र प्रस्तुत किया जा चुका था। इसके लिए लेखराम साहू सहित दोनों गवाह पहुंच गए थे। लेख राम साहू के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और हिमांशु शर्मा ने जस्टिस सैम पी कोशी की बेंच को तीनों गवाहों के क्रॉस एग्जामिन के लिए सुबह से ही उपस्थित होने की जानकारी दी। बेंच ने इसके लिए सरोज पांडेय के अधिवक्ता अविनाश चंद्र साहू को कहा कि लेनिक अधिवक्ता श्री साहू ने असमर्थता जताते हुए और समय मांगा।
सरोज पाण्डेय ने दी थी गलत पता और बैंक एकाउंट की जानकारी
लेखराम साहू की ओर से दायर चुनाव याचिका में सरोज पांडेय के शपथ पत्र में बैंक अकाउंट को छुपाने और निवास स्थान के बारे में गलत पते की जानकारी देने जैसे कई आरोप लगाए गए हैं। साथ ही उनके निर्वाचन को इस आधार पर भी चुनौती दी गई है कि प्रस्तावक समर्थकों में बहुत से विधायक लाभ के पद पर होने के कारण मतदान करने के पात्र नहीं थे। उनका नामांकन पत्र पूर्व में ही रद्द किया जाना चाहिए था। अब 29 अक्टूबर को सभी गवाहों का प्रति-परीक्षण किया जाएगा।

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