क्वाड का अस्तित्व सिर्फ चीन से मुकाबला करने के लिए नहीं : जॉन किर्बी

इसके और भी आयाम हैं
वाशिंगटन।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने कहा कि संसाधन बहुल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता और बल प्रयोग की प्रकृति क्वाड देशों के बीच अक्सर चर्चा का विषय रही है। पेंटागन प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, क्वाड के बहुत सारे नतीजे हैं और सभी का चीन से कोई नाता नहीं है। ऐसा नहीं है कि क्वाड का वजूद सिर्फ चीन या उसके प्रभाव का मुकाबला करने के लिए है।
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के बीच अहम समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिहाज से एक नई रणनीति के तहत नवंबर 2017 में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने क्वाड की स्थापना के प्रस्ताव को आकार दिया था।
चीनी आक्रामकता, बलप्रयोग रहा हर क्वाड बैठक के एजेंडे में शामिल
पेंटागन के प्रेस सचिव ने कहा, जाहिर है हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन क्या कर रहा है? जिस आक्रामकता या बलप्रयोग के जरिये वह अपने दावों को पेश करने की कोशिश करता है, निश्चित रूप से यह क्वाड में हमारे सभी सहयोगियों तथा भागीदारों के साथ लगातार चर्चा का एक विषय रहा है।
किर्बी ने कहा, क्वाड व्यवस्था हमें सभी प्रकार की पहलों पर बहुपक्षीय रूप से काम करने का शानदार मौका देती है, जो हमें वास्तव में एक स्वतंत्र व खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र बनाने में मदद कर सकती है। क्वाड देश इस क्षेत्र के लिए मिलकर आगे आए हैं। इसमें काफी कुछ है और हर चीज का चीन से नाता नहीं है।
ऑकस : ईयू ने ऑस्ट्रेलिया से ट्रेड वार्ता 1 माह स्थगित की
यूरोपीय संघ (ईयू) ने हाल ही में स्थापित ऑकस गठबंधन के तहत ऑस्ट्रेलिया-अमेरिका में पनडुब्बी करार पर राजनयिक विवाद के बीच ऑस्ट्रलिया से मुक्त व्यापार समझौते पर होने वाली वार्ता एक माह के लिए स्थगित कर दी है। 12वें दौर की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये होने वाली यह बातचीत अक्तूबर में निर्धारित थी जो अब नवंबर में होगी।
बीजिंग से अपने तरीके से निपटेगा भारत
विदेश मंत्री जयशंकर ने शुक्रवार को कहा, चीन से जुड़े घटनाक्रम से निपटने के लिए भारत के पास द्विपक्षीय विकल्प समेत कई रास्ते हैं। इस संबंध में हम अपने हितों के हिसाब से प्रतिक्रिया देंगे।
अमेरिका-भारत सामरिक साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के वार्षिक नेतृत्व शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेशमंत्री ने कहा, चीन के बारे में हम सभी को विचार करना है तथा हममें से सभी के चीन के साथ समग्र संबंध हैं। कई मायनों में चीन आज एक बड़ा खिलाड़ी देश है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में हमारी समस्या या हमारे अवसर वैसे नहीं हो सकते हैं, जैसे अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया, जापान या इंडोनेशिया या फ्रांस के होंगे। ये हर देश के लिए अलग-अलग होंगे और चीन से जुड़े मसलों का अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर बहुत प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में हमें अपने हितों के अनुरूप मूल्यांकन करना है और प्रतिक्रिया देनी हैं।
क्वाड किसी देश के खिलाफ नहीं
क्वाड पर चीन की प्रतिक्रिया पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की सहभागी वाला गठबंधन क्वाड किसी देश के खिलाफ नहीं है और किसी तरह की गुटबंदी और नकारात्मक पहल के तौर पर इसे नहीं देखा जाना चाहिए।
तालिबान संग करार से पहले भारत को भरोसे में नहीं लिया
अफगानिस्तान के हालात पर जयशंकर ने अमेरिका पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, दोहा में तालिबान के साथ करार के संबंध में अमेरिका ने इस समझौते के कई आयामों को लेकर भारत को भरोसे में नहीं लिया। विदेश मंत्री ने कहा, भारत के लिए प्रमुख चिंता यह है कि क्या अफगानिस्तान में समावेशी सरकार होगी और उस देश की सरजमीं का इस्तेमाल किसी दूसरे देश या बाकी दुनिया के खिलाफ आतंकवाद के लिए तो नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा, भारत काबुल की नई सरकार को मान्यता देने के लिए जल्दबाजी में नहीं है। पूर्व अमेरिकी राजदूत फ्रैंक बाइजनर के साथ संवाद सत्र में विदेश मंत्री का कहना था कि अफगानिस्तान से जुड़े मसलों पर भारत-अमेरिका की सोच काफी हद तक समान है।

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