UNGA में इमरान खान ने अलापा ‘कश्मीर राग’, भारत ने सुनाई खरी-खरी, कहा- अवैध कब्जे को तुंरत खाली करे पाकिस्तान

वाशिंगटन। में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) द्वारा जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) पर दिए गए बयान पर भारत ने कड़ा एतराज जताया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे (Sneha Dubey) ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के आंतरिक मामलों को दुनिया के मंच पर लाने और झूठ फैलाकर प्रतिष्ठित मंच की छवि खराब करने की कोशिश की है। हमनें उनके इस प्रयास के जवाब में ‘राइट टू रिप्लाई’ का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान और झूठ के लिए वो हमारी सामूहिक अवमानना ​​​​और सहानुभूति के पात्र हैं।
76वें संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने जलवायु परिवर्तन, इस्लामोफोबिया और कोविड-19 सहित कई मुद्दों पर बात की थी। प्रधानमंत्री खान ने अपने संबोधन के दौरान कश्मीर मुद्दा भी उठाया था। इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ शांति चाहता है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति जम्मू-कश्मीर विवाद के समाधान पर निर्भर करती है. खान ने कहा, ‘पाकिस्तान के साथ सार्थक जुड़ाव बनाने के लिए अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से भारत पर निर्भर करती है।
स्नेहा दुबे ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग थे, हैं और हमेशा रहेंगे. इसमें वो क्षेत्र भी शामिल हैं जिसपर पाकिस्तान के अवैध कब्जे हैं। हम पाकिस्तान से उसके अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने का आह्वान करते हैं। उन्होंने कहा कि अफसोस की बात है कि यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के नेता ने भारत के खिलाफ झूठ फैलाने और उसकी इमेज गिराने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्लेटफार्म का दुरुपयोग किया है। अपने देश की दुखद स्थिति से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने यह व्यर्थ कोशिश की है।
काबुल के साथ संबंध कायम रखने की अपील
वहीं, अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर खान ने कहा कि अफगानिस्तान (Afghanistan) फिर से अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह के रूप में उभरेगा। खान ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को युद्धग्रस्त देश में वर्तमान सरकार को मजबूत और स्थिर करने का प्रयास करना चाहिए। पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री ने कहा कि युद्धग्रस्त देश में 20 साल के सैन्य हस्तक्षेप के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगान लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से खुद को “मुक्त” नहीं कर सकता है।
उन्होंने उन्हीं देशों से काबुल के साथ संबंध कायम रखने का आग्रह किया है. खान ने कहा कि आगे एक बड़ा मानवीय संकट मंडरा रहा है और इसका असर न केवल अफगानिस्तान बल्कि पड़ोसियों पर भी होगा। मालूम हो कि पाकिस्तान पर तालिबान (Taliban) को खुलेआम तौर पर समर्थन देने का आरोप लगता रहा है। इस बीच, भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका और आतंकवाद में उसकी संलिप्तता क्वाड शिखर सम्मेलन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय वार्ता में चर्चा किए गए मुद्दों में से एक थी।

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