पंचतत्व में विलीन हुए राजा विशाल बहादुर सिंह

दाह संस्कार से पहले राजा के बड़े बेटे सतवीर बहादुर सिंह का हुआ राज्याभिषेक
नम आंखों से शहरवासियों ने दी अंतिम विदाई, पूरा राजपरिवार हुआ अंत्येष्ठि में शामिल
रायगढ़।
बुधवार सुबह मोतीमहल का माहौल गमगीन था। हर आंख से आंसू रोके नहीं रूक रहे थे। युवा राजा विशाल बहादुर सिंह के निधन से पूरा शहर स्तब्ध था। राजपरिवार के लोगों समेत मरहूम राजा के नियर-डियर और पास के मोहल्ले के लोग उनके अंतिम दर्शन को पहुंचे।
राजा की अर्थी उठने से पहले उनके ज्येष्ठ पुत्र सतवीर बहादुर सिंह का राज्याभिषेक किया गया। मान्यता है कि राजा की गद्दी को खाली नहीं छोड़ा जाता। इसके बाद विशाल बहादुर सिंह के अंत्येष्ठि का कार्यक्रम शुरू हुआ। उनके पार्थिव शरीर को महल प्रांगण स्थित समलाई मंदिर के पीछे ले जाया गया जहां उनका वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दाह संस्कार किया गया। उनके चचेरे भाई प्रताप बहादुर सिंह ने मुखाग्नि दी। इसी के साथ राजा विशाल बहादुर सिंह की जीवन यात्रा समाप्त हो गई। विरान महल और भी ज्यादा गमगीन हो गया जब उनकी पत्नी गश खाकर गिर गईं। राजपरिवार की महिलाएं अल्पायु में राजा के निधन को लेकर बेहद दुखी थीं। पुरूष परिजन लगातार उन्हें ढाढस बंधा रहे थे। आमजन राजा के लिए लगातार नारे लगाते रहे।
विदित हो कि राजा ललित सिंह के वंशज और विजय बहादुर के सुपुत्र रायगढ़ राजघराने के वर्तमान राजा रहे विशाल बहादुर सिंह का मंगलवार रात निधन हो गया। पिछले कुछ दिनों से वह इलाजरत थे एक सड़क हादसे में जख्मी होने के बाद उनका इलाज रायपुर में जारी था। विशाल बहादुर का राजा लोकेंद्र बहादुर के मौत के बाद राजतिलक किया गया था। विशाल बहादुर राजा चक्रधर सिंह के चौथी पीढ़ी के राजा थे। वे विजय बहादुर सिंह के बेटे थे। राजा चक्रधर सिंह राजा होने के साथ-साथ संगीत के भी जानकर थे। उन्हें संगीत में दिए गए उनके अवदानों के कारण याद किया जाता है और उनकी ही याद में रायगढ़ में 10 दिवसीय चक्रधर समारोह का आयोजन किया जाता है। राजा विशाल बहादुर उन्हीं के वंशज थे।
शहरवासी इस बात से स्तब्ध थे कि इस दुखद घड़ी में आमंत्रण देने के बावजूद जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों में से कोई भी मोतीमहल या फिर घाट पर मौजूद नहीं था। कायदे से इन सभी को यहां आना था ऐसी जनश्रुति लोगों में आम थी और लोग हैरत में थे।

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