सूदखोर ने गिरवी की आड़ में आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को बेची…

एसडीएम ने किया रजिस्ट्री शून्य, बिजलाल को मिला न्याय
कवर्धा।
अनुविभागिय दंडाधिकारी कवर्धा विनय सोनी ने 20 जुलाई को दिए अपने ऐतिहासिक फैसले में सूदखोर ने पीड़ित आदिवासी बिजलाल की जमीन धोखे से नौकर के नाम और फिर अन्य गैर आदिवासी को बेच बिना सक्षम अनुमति के बेचने के मामले में आदिवासी को जमीन वापस दिए जाने का ऐतिहासिक फैसला देते रजिस्ट्री को शून्य घोषित कर काबिज बृजलाल की मृत्यु हो जाने पर उनकी पत्नी के नाम पर दर्ज किए जाने का आदेश दिया है । जिससे सुदखरो व दलालों में हड़कंप मचा हुआ है।
मिली जानकारीनुसार ने कबीरधाम जिले के ओड़िया कला निवासी मृतक बिजलाल ने थानखम्हारिया निवासी साहूकार स्वर्गीय रामसहाय के पास महज 500 रुपये में अपनी जमीन गिरवी रखी थी जिसे साहूकार ने कपटपूर्वक गिरवी की आड़ में चंदैनी निवासी सुखरू गोड़ के नाम पर विक्रय पत्र लिखवाया लेकिन काबिज बिजलाल ही रहा। गिरवी की रकम वापसी पश्चात साहूकार ने जमीन वापसी के लिए 18.8.1979 को अपंजीकृत विक्रयपत्र लेख करवा बिजलाल को धोखे में रखा गया । सूदखोर द्वारा नौकर सुखरू के विश्वासपात्र नही रह जाने के कारण उक्त जमीन अपने दूसरे नौकर वीरेंद्रनगर निवासी कुंजल गोड़ के नाम पर दर्ज करवाया गया । बिजलाल के साथ धोखे का खेल यंही नही रुका बल्कि सूदखोर सेठ ने 12 अप्रैल 1971 को कुंजल गोड़ से आदिवासी बिजलाल की काबिज भूमि को गैर आदिवासी करेसरा निवासी भुवनदास पिता सुखीदास पनिका को 500 रुपये पंजीबद्ध विक्रय पत्र के नाम से विक्रय कर शासन प्रशासन और आदिवासी को धोखा देते तत्कालीन पटवारी , तहसीलदार , व पंजीयक के साथ मिल कर जमीन गैर आदिवासी के नाम पर राजस्व रिकार्ड में दर्ज करवा दी गई जबकि बिजलाल 1966 से मृत्यु पर्यंत तक कास्त काबिज रहा । राजस्व संहिता 1959 की धारा 170(ख) 25 नवम्बर 2019 को जमीन वापसी व राजस्व रिकार्ड में नाम दर्ज करवाने के लिए अनुविभागीय अधिकारी कवर्धा के न्यायालय में आवेदन देने पर बृजलाल को न्याय तो मिला किंतु न्याय मिलने के चंद दिन पहले ही बिजलाल कि मृत्यु हो गई ।
बहरहाल एसडीएम विनय सोनी द्वारा लगभग 1 एकड़ भूमि पर दशको से चले आ रहे अवैध बिक्रीनामा ,राजस्व रिकॉर्ड में फर्जीबाड़ा करने के बहुचर्चित मामले में ओड़िया कला निवासी बिजलाल उर्फ बृजलाल पिता भरोसा की अपील स्वीकृत कर उत्तरवादी भुवनदास पनिका एवम अन्य के खिलाफ आदेश देते हुए आदेश में कहा है कि आदिम जनजाति के सदस्य बिजलाल को उसके विधि सम्मत अधिकार से कपटपूर्वक वंचित किया गया अतः वाद भूमि से सम्बंधित समस्त संव्यवहार को अकृत व शून्य घोषित किया गया एवं बिजलाल की मृत्यु हो जाने पर उनकी पत्नी श्रीमती रत्नी बाई भू राजस्व संहिता की धारा 170 ख के तहत कब्जा प्राप्त करने की अधिकारी है के नाम ओड़िया कला की वाद भूमि खसरा नम्बर 266/2 रकबा 0.405 हेक्टर भूमि दर्ज करने के आदेश दिए है। आदिवासी के हक में दिए गए आदेश और रजिस्ट्री शून्य घोषित करने के आदेश की चर्चा सर्वत्र है । गरीब न्याय पा कर गदगद है ।

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