मत्स्य बीज उत्पादन से स्वावलंबन की नई राह

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार मत्स्य कृषकों एवं मछुआरों को मछली पालन की नवीनतम तकनीकी एवं प्रशिक्षण के साथ-साथ तालाब निर्माण से लेकर मत्स्य पालन के लिए दी जा रही मदद ने इसे लाभकारी व्यवसाय बना दिया है। मत्स्य बीज उत्पादन एवं मत्स्य पालन को अपनाकर लोग आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने लगे है। बेमेतरा जिले के साजा विकासखण्ड के ग्राम करही निवासी किशोर राठी मत्स्य विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर साजा-बेमेतरा क्षेत्र में सफल मत्स्य बीज उत्पादक कृषक के रूप में अपनी पहचान कायम की है। हाल ही में राठी ने 12 लाख रूपए का मत्स्य बीज विक्रय कर 7.50 लाख रूपए का मुनाफा अर्जित किया है।
मत्स्य कृषक राठी का कहना है कि क्षेत्र के किसान तालाब निर्माण कराकर मत्स्य पालन करने की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे है। इससे मत्स्य बीज की मांग बढ़ गई है। इसको देखते हुए उन्होंने मत्स्य बीज संवर्धन का कार्य प्रारंभ किया। नील क्रान्ति योजना अंतर्गत स्वयं की भूमि में 09 संवर्धन पोखर का निर्माण कराया। इसके लिए मछली पालन विभाग से 6 लाख 74 हजार 800 रूपए की अनुदान राशि स्वीकृत की गई। माह जुलाई-अगस्त में स्पॉन संवर्धन कर 50 लाख फ्राई एवं 30 लाख फिंगरलिंग मत्स्य बीज का उत्पादन किया, जिसका विक्रय से 12 लाख रूपए में करने से उन्हें 7 लाख 50 हजार की शुद्ध आय हुई है।
छत्तीसगढ़ राज्य में बीते ढाई सालों में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से मछली पालन के क्षेत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। राज्य में ढाई सालों में मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में 13 प्रतिशत और मत्स्य उत्पादन में 9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। राज्य सरकार द्वारा मत्स्य कृषकों मछुआरों को सरकार द्वारा दी जा रही सहूलियतों का ही यह परिणाम है कि छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य बीज उत्पादन एवं मत्स्य उत्पादन में देश में छठवें स्थान पर है। मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य न सिर्फ आत्मनिर्भर है, बल्कि यहां से मत्स्य बीज की आपूर्ति पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, ओड़िसा और बिहार को होती है। छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में 288 करोड़ मत्स्य बीज फ्राई तथा 5.77 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है।

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