मोदी सरकार ने जनता की कमाई से बनी संपत्तियों की लगाई ’मेगा डिस्काउंट सेल’ : अजय माकन

केन्द्र की मोदी सरकार पर जमकर बरसे एआईसीसी महासचिव माकन
कहा- गुपचुप निर्णय और अचानक घोषणा से सरकार की नीयत पर बढ़ा संदेह
रायपुर।
कांग्रेस के महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने केंद्र सरकार की नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन ( NMP ) को लेकर मोदी सरकार पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जनता की कमाई से पिछले 60 साल में बनाए गए सार्वजनिक उपक्रमों को किराए के भाव पर बेचने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि सबसे चौंकाने वाली और संदेह में डालने वाली बात यह है कि यह सभी कुछ गुपचुप तरीके से तय किया गया। इसके बाद इस निर्णय की घोषणा भी अचानक से की गई, जिससे सरकार की नीयत पर शक गहराता है।
राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने के खिलाफ मोदी सरकार को कांग्रेस लगातार घेर रही है। सोशल मीडिया के माध्यम से कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं। इसी कड़ी में आज एआईसीसी के महासचिव एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय माकन अपने दो दिवसीय प्रवास पर राजधानी पहुंचे हैं।
माकन ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मोदी सरकार के जनविरोधी योजनाओं के चलते देश मेें रोजगार लगभग खत्म हो जाएगी। सरकार की योजनाएं धरातल से कोसो दूर है। मोदी सरकार अपने चहेते उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बिना तर्क की कसौटी में कसे सार्वजनिक उपक्रमों को बेचते जा रही है।
उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली से सिर्फ यहां इसीलिए आया हूँ ताकि जनता जान सके सच क्या है और कैसे केंद्र जनता को लूट रही है। हम मोनोपल्ली डिस्ट्रॉय करने पर काम करते थे और मोदी सरकार इसे बढ़ावा दे रही है। सरकार एक-एक कर उपक्रमों को बेचते जा रही है।
मोदी सरकार से सवाल करते हुए कहा कि दिल्ली के अंदर 700 एकड़ जमीन सरकार बेच रही है, उसकी भरपाई और उसके बदले फायदा कैसे होगा ये बताए सरकार?
सरकार सिर्फ और सिर्फ नुकसान में है जिसका खामियाजा सिर्फ और सिर्फ जनता को भुगतना पड़ेगा।
कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में है और हम जनता की आवाज सत्ता के नशे में चूर लोगों के कानों तक पहुंचने का काम कर रहे हैं। हम लगातार आंदोलन करेंगे और हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
मोदी सरकार का कोई भी फैसला देश और देशवासियों के हित में नहीं है। 60 साल के लिए जिन चीजों को किराये पर दिया जा रहा है उसका हिसाब जोड़-तोड़ के जनता को बताया जा रहा है।
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सरकारें सार्वजनिक उपक्रमों को तभी बेचती है जब वे उपक्रम घाटे में चल रही होती है न कि मुनाफे कमाने वाली उपक्रमों को बेचती है। प्रॉफिट मेकिंग सेक्टर प्राइवेट हाथों में चले जाने से केंद्र सरकार का मुनाफा सीधा-सीधा कम हो जाएगा। साथ ही सरकार का खर्च बढ़ जाएगा। जिसकी भरपाई सरकार जनता से करेगी ।
रेलवे की जिन संपत्तियों, रेलवे स्टेशनों और रेलवे लाइनों को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत चिन्हित किया गया है। वह हमेशा से बेहतर और फायदे का सौदा वाली परिसंपत्तियां रही हैं।
एक बार निजीकरण हो जाने के बाद लाभ कमाने वाले सभी रूट निजी क्षेत्र को सौंप दिए जाएंगे, जबकि घाटे में चलने वाले रूट और छोटे स्टेशन को सरकार चलाएगी। जहां पर सरकार पैसे की कमी का हवाला देते हुए उदासीन बनी रहेगी। इससे इन स्टेशनों और लाइनों पर यात्रा करने वाले यात्रियों को हमेशा बदतर सेवाओं का सामना करना पड़ेगा।
राजीव भवन में आयोजित पत्रकारवार्ता में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस संचार के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गिरीश देवागन, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन प्रभारी महामंत्री चन्द्रशेखर शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री प्रशासन रवि घोष संचार विभाग के सदस्य , प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यप्रवक्ता एवं प्रदेश के प्रवक्ता उपास्थित थे।

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