30 सितम्बर तक करवाया जा सकता है पंजीयन
जगदलपुर। आदिवासी क्षेत्रों की संस्कृतियों में बस्तर की संस्कृति की अलग ही पहचान है। इस संस्कृति को शुद्ध बनाए रखने के लिए अगली पीढ़ी तक हस्तांतरण करने के लिए और बस्तर की समृद्धशाली लोक संस्कृति को देश दुनिया से परिचय कराने के उद्देश्य से जिला मुख्यालय जगदलपुर के समीप ग्राम आसना में बस्तर अकादमी ऑफ डांस आर्ट लिटरेचर एण्ड लेंग्वेज (बादल) की स्थापना की गई है।
बस्तर अकादमी ऑफ डांस आर्ट लिटरेचर एण्ड लेंग्वेज (बादल) द्वारा बस्तर जिले के लोककला को गति देने के लिए जिले के सभी लोक कलाकारों का पंजीयन सितम्बर तक किया जाना है। ऐसे कलाकार जो बस्तर जिले की लोकगीत, चईतपरब, लेजागीत, मारीरसोना, भतरी नाट, खेलगीत, बिहाव गीत, जगार गीत आदि, इसी तरह गेड़ी नृत्य, मादर नाचा, धुरवा नाचा, गवरसिंग नाचा, ठसावक्ता, कहनी गीत तथा बस्तर हस्तशिल्प में बेलमेटल, टेराकोटा, शीशम कला आदि विधा के जानकार कलाकरों का कार्यालयीन अवधि एवं दिवस में 30 सितम्बर तक बादल आसना में निःशुल्क पंजीयन किया जाएगा। ताकि भविष्य में उन्हें उनकी कला के प्रदर्शन हेतु अवसर दिया जा सके। इच्छुक कलाकार आधार नम्बर के साथ बादल में व्यक्तिगत अथवा समूह का पंजीयन करा सकते हैं।