ट्रिब्यूनलों में सदस्यों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई केंद्र को फटकार

पूछा- क्या आप ट्रिब्यूनलों को बंद करना चाहते हैं…
नई दिल्ली।
देश भर के न्यायाधिकरणों (ट्रिब्यूनल) में बड़ी संख्या में खाली पड़े पदों की लंबी सूची से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सफाई मांगी है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वह न्यायाधिकरणों को जारी रखना चाहती है या बंद करना चाहती है। चीफ जस्टिस एनवी रमण और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि विभिन्न न्यायाधिकरणों में रिक्त पदों को भरने में देरी उनके कामकाज को प्रभावित कर रही है। साथ ही लोगों को कानूनी उपाय के बगैर रहना पड़ रहा है।
पीठ ने न्यायाधिकरणों में रिक्तियों की लंबी सूची को पढ़ा और कहा कि इन सभी न्यायाधिकरणों में 19 पीठासीन अधिकारी, 110 न्यायिक सदस्य और 111 तकनीकी पद रिक्त हैं। पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, यह तो ट्रिब्यूनल का हाल है। हम नहीं जानते सरकार का क्या रुख है। पीठ ने यह भी कहा, आप इन न्यायाधिकरणों को जारी रखना चाहते हैं या उन्हें बंद करना चाहते हैं। कुछ तो करने की जरूरत है।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने इन सवालों पर जवाब देने के लिए 10 दिनों का समय मांगा। शीर्ष अदालत, वकील अमित साहनी द्वारा राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय जीएसटी न्यायाधिकरण स्थापित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने यह भी कहा, हमें ऐसा प्रतीत होता है कि नौकरशाही ट्रिब्यूनल नहीं चाहती है। आप ट्रिब्यूनल को निष्क्त्रिस्य नहीं कर सकते। यदि आप ट्रिब्यूनल नहीं चाहते हैं तो हम इन्हें हाईकोर्ट के अधिकारक्षेत्र को बहाल कर देंगे।
हम लोगों को बिना कानूनी उपाय के नहीं रख सकते हैं। चीफ जस्टिस ने केंद्र से कहा कि अगर मामले में तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो वह शीर्ष स्तर के अधिकारियों को तलब करेंगे। शीर्ष अदालत ने ट्रिब्यूनल के सदस्यों के लिए न्यूनतम कार्यकाल और योग्यता से संबंधित मद्रास बार एसोसिएशन के मामले में हालिया फैसले का भी उल्लेख किया। बहरहाल, शीर्ष अदालत ने साहनी की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।

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