भारत-चीन की सेनाएं विवादित पेट्रोलिंग प्वाइंट गोगरा से हटने को तैयार…

हॉट स्प्रिंग और डेपसांग का हल निकालने वार्ता जारी रखेंगे दोनों पक्ष
नई दिल्ली।
भारत और चीन की सेना के बीच 12वें दौर की वार्ता के बाद चीन के तेवर ढीले पड़े हैं और अब दोनों देश पूर्वी लद्दाख स्थित पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए से अपनी-अपनी सेना पीछे हटाने को राजी हो गए हैं। दोनों देशों के बीच विवादित स्थल 17ए को गोगरा के नाम से जाना जाता है। दरअसल चीन के रुख में यह परिवर्तन दुशांबे में 14 जुलाई को भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद आया है।
पिछली बार फरवरी में दोनों देशों ने पैंगोंग झील के पास से अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे हटाया था। वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चुशुल-मोल्डो में 31 जुलाई को दोनों देशों की सैन्य वार्ता के बाद 2 अगस्त को एक संयुक्त बयान जारी किया गया था। संयुक्त बयान के अनुसार गोगरा से सेना हटाने का काम जल्द शुरू किया जाएगा।
इसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष विवादित स्थलों पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 हॉट स्प्रिंग और डेपसांग का हल निकालने के लिए वार्ता जारी रखेंगे। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति एवं स्थिरता के लिए अपने-अपने प्रभावी प्रयास जारी रखेंगे।
क्या है गोगरा, हॉट स्प्रिंग विवाद
सवा साल पहले चीनी सेना के भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश में हिंसक संघर्ष के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विभिन्न स्थानों पर भारत और चीन की सेना एक दूसरे के सामने डटी हुई हैं। पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए गोगरा और पीपी-15 हॉट स्प्रिंग को लेकर विवाद बना हुआ है।
भारत की मांग है कि चीन की सेना यहां से पूरी तरह पीछे हट जाए, लेकिन चीन अड़ा हुआ है। पिछले साल तय हुआ था कि सेना को पीछे हटाया जाएगा, लेकिन उससे पहले गलवां घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हो गई।
चीन का मानना है कि गलवां के पास यह क्षेत्र दोनों देशों के बीच की सीमा को रेखांकित करता है, लेकिन भारत का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पूर्व में है और उसमें पूरा अक्साई चिन भी शामिल है।
इधर संयुक्त बयान, उधर चीन ने जारी किया गलवां झड़प का वीडियो
भारत-चीन सैन्य वार्ता के बाद 2 अगस्त को संयुक्त बयान जारी होने के कुछ ही घंटे बाद चीन की एक वेबसाइट ने पिछले साल जून में गलवां घाटी में हुए हिंसक संघर्ष का वीडियो जारी कर दिया।
वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि भारत और चीनी जवानों के बीच संघर्ष चल रहा है और चीनी जवान ऊंचाई से भारतीय जवानों पर पत्थर बरसा रहे हैं। माना जाता है कि 1962 के युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच यह सबसे बुरा टकराव था। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन ने अपने 4 जवानों के मारे जाने का दावा किया था।
दक्षिण चीन सागर में चार युद्धपोत तैनात करेगा भारत
भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े ने दक्षिण चीन सागर में दो महीने के लिए चार युद्धपोत तैनात करने का फैसला लिया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस दौरान नौसेना अपने क्वाड साझेदारों अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ युद्धाभ्यास भी करेगी। जिन युद्धपोतों की दक्षिण चीन सागर में इस हफ्ते तैनाती की जाएगी, उनमें गाइडेड मिसाइल विध्वंसक रणविजय, गाइडेड मिसाइल पोत शिवालिक, पनडुब्बी रोधी जंगी जहाज कदमात्त और गाइडेड मिसाइल पोत कोरा शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार ये युद्धपोत विभिन्न घातक हथियारों और सेंसर से लैस हैं। दो महीनों के दौरान ये जंगी जहाज क्वाड सदस्य देशों के साथ नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लेंगे। इसी अवधि में भारतीय पोत दक्षिण चीन सागर में सिंगापुर, वियतनाम, इंडोनेशिया और फिलीपींस के साथ द्विपक्षीय अभ्यास भी करेंगे।

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